
वर्ष 1968-69, रहे होंगे, जब मैं रतलाम के माणकचौक स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक एक में 10वीं, 11वीं कक्षा में पढ़ता था। मेरे पापा श्री कृष्णवल्लभ पौराणिक वहीं व्याख्याता थे। भौतिक शास्त्र पढ़ाते थे। उनके एक सहकर्मी हिन्दी अध्यापक थे, श्री स्वयंप्रकाश उपाध्याय। सूरजमुखी होकर उनका रंग लाल-गोरा था। विद्वान् थे। महर्षि अरविंद की […]