
“वह भी क्या ज़माना था जब हम पत्र लिखा करते थे” पत्र लिख-भेजना और पात्र-पाना व पढ़ना मुझे सदैव प्रिय रहा हैं | टेलीफोन, इन्टरनेट, वीडियों-फ़ोन के आने के बाद से चलन कम हो गया हैं | ऐसा लगता हैं कि कुछ खो गया हैं | संवाद भले ही किसी न किसी रूप में चलता […]