
सुनने में परेशानी के कारण
>लंबे समय सर्दी-जुकाम रहने से होने वाला इंफेक्शन ईयर-ड्रम में होल करने के साथ-साथ मिडिल ईयर की हड्डियों को गलाने लगता है। इससे साउंड के ब्रेन तक ठीक तरह पहुंचने में रुकावट आती है।
>जन्म के समय ही बच्चों के आउटर ईयर की बनावट ठीक न होने से।
>ब्रेन में मेनिंजाइटिस इंफेक्शन होने पर इनर ईयर या ब्रेन की कवरिंग यानी मैनिंजस में मौजूद हियर सेल्स की जड़ में कैल्शियम जमा होने के कारण कोकलिया के काम बंद करने से।
>सफाई के गलत तरीकों जैसे ईयर बड्स,हेयर पिन, पेन-पेंसिल्स,स्ट्रा जैसी चीजों से कान में जमा वैक्स साफ करने से। ईयर केनाल में चोट लगने और सूजन होने से।
>अत्यधिक मेडिसिन लेने, वायरल इंफेक्शन, पैरालाइसिस, ब्रेन ट्यूमर जैसी स्थिति में साउंड को इनर ईयर से ब्रेन तक ले जाने वाली ओडिटरी नर्व डैमेज होने से।
>ईयर-ड्रम में होल को नजरअंदाज करना यानी सालों पहले इंफेक्शन से। डॉक्टर द्वारा दी गई एंटीबायोटिक मेडिसिन से पस तो सूख गया हो, लेकिन ईयर ड्रम का होल ठीक नहीं हो पाया हो, जिससे इंफेक्शन होने की संभावना रहती है।
>बुजुर्गों के कान में खून का दौरा कम होने से शॉर्ट इंक्रीमेंट सेंसेटिव इंडेक्स की समस्या देखने को मिलती है। यानी कान इरीटेबल हो जाता है और सुनाई देना कम हो जाता है।
>ड्रग्स या केमिकल्स से इंजरी जैसे- निमोनिया,टीबी जैसी बीमारी में दी जाने वाली सेप्टोमाइसिन मेडिसिन, केमिकल्स या प्रीजरवेटिव्स से संरक्षित खाद्य पदार्थों के सेवन या वातावरण में मौजूद हानिकारक ऑटोटॉक्सिक को इन्हेल करने से।
>साउंड वेव इंजरी जैसे- कान के पास बहुत तेज साउंड ब्लास्ट होने, बम फटने, या फिर म्यूजिक सुनते वक्त साउंड के ज्यादा एक्सपोजर से। एमपी प्लेयर का इस्तेमाल हेड फोन जैसी हियरिंग डिवाइसिस के ज्यादा इस्तेमाल से।
>रिपिटिटिव साउंड इंजरी यानी लंबे समय तक फैक्टरीज.कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने और लगातार चलने वाली मशीनों की आवाज के संपर्क में ज्यादा रहने से।
सुनने में परेशानी के लक्षण:
1.लोगो की आवाज़ और अन्य ध्वनी धीमी सुनाई देना |
2. कुछ विशेष तरह के शब्दों को न समझ पाना |
3. शब्दों को समझने में मुश्किल होना |
4. लोगो को स्पष्ट, धीमी गति से और जोर से बोलने के लिए बार बार कहना।
5. रेडियों और टी.वी. को तेज आवाज़ में सुनना |
सामाजिक कार्यों से बचना |