तुलसीदासजी अपनी पत्नी रत्नावली के प्रेम में पागल थे। घनघोर बारिश में उफनती नदी पार कर के घर में प्रवेश के लिए खिड़की से लटके हुए सांप को रस्सी समझ कर, उसके सहारे चढ़कर , अन्दर कक्ष में पहुँच गये थे। पत्नी की फटकार के बाद जो हुआ जो राम की इच्छा थी लेकिन सांप को रस्सी समझने का दृष्टिभ्रम अपने आप में न्यूरोविज्ञान का एक रोचक व ज्ञानवान अध्याय हैं।
Visual Illusions हमें संवेदी परख(सेंसरी परसेप्शन) की कार्यविधि बारे में समझाते हैं। दुनिया जहान में तमाम चीजों, वस्तुओं, व्यक्तियों, रंगों, गतियों, द्रश्यों की जो छाप आँखों के पर्दे(रेटिना) पर पल पल बनती हैं, वह दिमाग में पहुँच कर कैसे बुझी व पहचानी जाती हैं, कैसे उसका पुरानी स्मृतियों से मिलान होता हैं – यह सब गहन शोध का विषय रहा हैं जिस पर नोबल पुरुस्कार भी मिल चुके हैं (नोबेल पुरूस्कार प्राप्त न्यूरोलॉजिस्ट)
दृष्टिभ्रम के कुछ उदाहरण निम्न है –