निगलने में समस्या
गले की भीतरी मांसपेशियों की गति कम पड़ने से भोजन, पानी, स्वयं की लार (थूक) आदि निगलने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है । अतिरिक्त प्रयत्न करके खाना पड़ता है । मुँह व गले में भोजन रूकने लगता है। जल्दी खाने के प्रयत्न मे ठसका लगता है , खाँसी आती है , श्वास अवरूद्ध हो सकती है, भोजन के कण, भोजन नली में जा सकते हैं । लार (थूक) मुँह मे इकट्ठा होने लगता है स्वस्थ व्यक्ति स्वयं की लार अनजाने ही निगलते रहते हैं ।
पार्किन्सन रोगी में निगलने की क्रिया में कमी होने से मुँह में जमा लार बाहर टपकने लगती है व बोली के उच्चारण में बाधा डालती है ।
हिदायतें व सुझाव : भोजन निगलने के पूर्व सचेत होकर सोचें व स्वयं को याद दिलाएँ कि आप निगलने जा रहे हैं | कौर को भली भांति चबाएँ । पहले एक ओर के दाँतों से, फिर दूसरी ओर के दाँतों से | जीभ के द्वारा कौर को मुँह में सब दिशाओं में घुमाएँ-फिराएँ । निगलने के पूर्व गहरी सांस लें, होंठ बन्द करें, कौर को जीभ के मध्य पिछले भाग पर रखें, जीभ ऊपर उठाएँ और फिर पीछे की ओर निगलने की क्रिया करें ।
एक बार में छोटा कौर करें ।जब तक पूरी तरह निगल न लिया गया हो, दूसरा कौर न लें | यह प्रक्रिया लार (थूक) निगलने के लिए अपनाएँ | सिर व गर्दन सीधा रखने में मुँह में जमा लार, पीछे गले मे उतरती रहेगी | सिर आगे झुका कर न बैठें । इससे लार आगे, बाहर आकर टपकती है |
कम्पन्न
काँपने वाले हाथ को टेबल पर सहारा दें | उस बाँह की कोहनी को बदन से चिपकाकर रखने से कम्पन कम महसूस हो सकता है | काँपने वाले हाथ को दूसरे अच्छे हाथ से पकड़कर थामने से थोड़ी देर के लिये कार्य क्षमता बेहतर बनाई जा सकती है । न काँपने वाले अच्छे हाथ से भी वही काम करने की आदतडालें, चाहे वह दायां हो या बायां। लेकिन यह याद रखें कि काँपने वाले हाथ का उपयोग व व्यायाम भी जारी रखना है । ग्रामीण व आदिवासी महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले भारी जिलेट या चांदी के कड़े व कंगन हाथ का कम्पन कम करते हैं | यदि आधुनिक शहरी चलन में ऐसे आभूषण चल सकते हों तो उत्तम ।
कपड़े पहनना व बदलना
यह काम समय साध्य व श्रम साध्य हो जाता है | मान कर चलो कि पर्याप्त समय देना पड़ेगा | दैनिक टाइम-टेबल में इस हेतु उचित समय की व्यवस्था रखें वरना हड़बड़ी व झुंझलाहट महसूस होगी व कोफ्त होगी कि आपके कारण दूसरे लेट हो रहे हैं | ढीले ढाले, हल्के फुल्के कपड़े पहनें | उस बाँह पर या पैर पर कपड़े पहले पहनें व उतारें जो धीमी, कड़क व कम्पित हो । खड़े रहने मे सन््तुलन गड़बड़ाता हो तो पलंग के किनारे या कुर्सी पर बैठ कर पहनें | कपड़ों में बटन या ज़िप या हुक के बजाए इलास्टिक (रबर) व वेल्क्रो लगवाएँ | कमीज या चोली या ब्लाऊज आगे खुलने वाला हो । बिना फीते वाले जूते पहने । जूते पहनने की जीभ का हेण्डल लम्बा हो ।
स्नान करना:
पार्किन्सन रोगियों के लिये बाथरूम खतरनाक स्थान हो सकता है । प्राय: सनानागार छोटे होते हैं | उनका गीला फर्श फिसलन भरा हो सकता है | बाथरूम के फर्श पर रबर की खुरदरी चटाई या मेटिंग बिछाने से फिसलन की आशंका कम हो जाती है । नल या फव्वारे के नीचे प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठ कर नहाने की व्यवस्था करना चाहिये ।बालटी व लोटे/मग से नहाना मुश्किल हो सकता है । साबुन को एक रस्सी से बांध कर रखें ताकि उस तक पहुँच आसान रहे । बाथरूम की दीवारों वदरवाजों पर मजबूत रेलिंग (धड़े) लगवाएँ, जिन्हें पकड़कर खड़े होने, बैठने चलने में सुविधा हो । टॉवेल आदि वाली छड़ें व हुक को पकड़कर खड़े नहों । वे प्राय: कमज़ोर रहते हैं ।