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वाचाघात मरीजों के लिये स्वयं सहायता समूह


मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति में रुकावट आने पर लकवा या पक्षाघात होता हैं | यदि मस्तिष्क का प्रभावित हिस्सा बोलने या समझने के केन्द्रों से सम्बंधित हो तो इस तरह की समस्या आती हैं |

पक्षाघात के मरीजों में वाचाघात या बोलने-समझने में दिक्कत होना आम बीमारी हैं | प्रत्येक एक लाख आबादी पर 400 लकवे के मरीज़ पाए जाते हैं | इनमें से एक चौथाई अर्थात 2000 मरीजों को पक्षाघात के साथ वाचाघात भी होता हैं | यदि किसी शहर की आबादी 20 लाख हो तो, लकवे के मरीजों की संख्या लगभग 8000 होगी | इनमें से एक चौथाई यानी 100 मरीजों को पक्षाघात के साथ वाचाघात भी होता हैं | यदि किसी शहर की आबादी 20 लाख हो तो, इनमें  से दो हज़ार मरीज़ वाचाघात के होंगे | जाहिर हैं कि प्रदेश भर में बड़ी संख्या में मरीज़ इस समस्या से जूझ रहे हैं | इस समस्या  से निपटने के लिए चिकित्सक के अलावा स्पीच थेरापिस्टऔर परिवार जनों की मदद की दरकार होती हैं | इसलिये ऐसे समूह की जरुरत हैं |

उल्लेखनीय हैं कि विदेशों में इस तरह के मरीज़ सपोर्ट समूह काम कर रहे हैं लेकिन भारत में इस तरह का चलन नहीं हैं | बीमारी से ज्यादा  इस दौरान होने वाला अकेलापन ज्यादा पीड़ादायक होता हैं  अतः ऐसे समूह इन लोगों का अकेलापन तोड़ने का काम करेंगे | साथ ही इस समूह में कुछ डॉक्टरों का जुड़ाव होगा जो इस बीमारी के बारे में होने वाले नए इलाजों के बारे में बताते रहेंगे | कुछ स्वयंसेवी लोगों ने भी इस समूह से जुड़ने में रूचि दिखाई हैं |

पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की मीटिंग्स में भाग लेने के बाद मरीजों के चेहरे पर संतुष्टि दिखाई देती हैं | उन्हें लगता हैं  वे अकेले नहीं हैं  और उनकी आवाज़ भी  सुनी जा रही हैं |

वाचाघात संघ क्यों

हम उम्मीद करते हैं और चाहते हैं कि ‘मध्यप्रदेश वाचाघात संघ’ एक गैर लाभकारी संगठन के रूप में वाचाघात(अफेज़िया) के रोगियों और उनके परिजनों की पुनर्वास और सहायक सेवाओं को बढ़ावा देने का काम करेगा |

इस संगठन का मिशन लोगो को यह समझाना होगा कि अफेज़िया पीड़ित लोग बातचीत नहीं कर पाते हैं, लेकिन वे बुद्धिहीन नहीं हैं | इसके लिए यह मरीजों, उनके परिजनों, व्यवस्थापकों और डॉक्टरों को अफेज़िया के बारे में उपलब्ध संसाधनों की जानकारी उपलब्ध कराता हैं, जिससे इस रोग से पैदा होने वाली अक्षमता को बहुत हद तक दूर किया जा सके | साथ ही ऐसी वैकल्पिक तकनीकों के बारे में जागरूकता पैदा करता हैं, जो इन अक्षमताओं के बावज़ूद लोगो को सामान्य जीवन जीने में सहायक होता हैं | नस्ल, रंग, धर्म, भाषा, और लिंग के आधार पर भेद किए बिना सभी लोगों को यह सहायता उपलब्ध कराता हैं |

अफेज़िया के मरीजों को समर्पित स्वयं सहायता समूह एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ अफेज़िया के बारे में सभी को समझ हो तथा सभी मरीज़, उनके परिवारजन, स्वास्थ्यकर्मीयों को इस रोग के बारे में पर्याप्त शिक्षा और संसाधन प्राप्त करना सुगम हो,  जिससे अफेज़िया पीड़ित अपनी जिन्दगी को गुणवत्ता के साथ जी सकें |

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