गूगल अनुवाद करे (विशेष नोट) :-
Skip to main content
 

न्यूरोलॉजी की पैरवी


डिसेबिलीटी एड्जस्टेड इयर्स ऑफ लाईफ या डेली

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक नई महत्वपूर्ण रिपोर्ट के अनुसार न्यूरॉलाजिकल बीमारियाँ जनस्वास्थ्य की दृष्टि से सामुदायिक स्तर पर एक एक विकराल समस्या है, दुर्भाग्य से इस तथ्य को अभी तक भली भांति नहीं पहचाना गया था। विभिन्न रोगों से होने वाली मृत्यु के आंकड़ों पर गौर करने से उक्त रोग की व्यापकता व बोझा का पूरा सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इस बात का भी आकलन होना चाहिये कि उन रोगों से पीड़ित होने से कितने लाखों लोग कितने वर्षों तक सामान्य जीवन नहीं व्यतीत कर पाते हैं। इसे अक्षमता के वर्ष (डिसेबिलीटी एड्जस्टेड इयर्स ऑफ लाईफ या डेली) कहा जाता है। यह एक बेहतर और सटीक कसौटी है न्यूरॉलाजिकल बीमारियों दुनिया भर में बीमारियों के बोझ (ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज) का 15 से 20% के लिये जिम्मेदार रहती हैं। लेकिन संसाधनों व जागरूकता की कमी है। फिलहाल भारत में दस लाख की आबादी पर न्यूरोसर्जन और एक न्यूरोफिजिशियन उपलब्ध है। ट्रेनिंग कोर्सेस की कमी है।

न्यूरॉलाजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया तथा इंडियन एकेडेमी ऑफ न्यूरोलाजी इस दिशा में नीति निर्धाताओं, राजनैतिज्ञों और मीडिया के मध्य जानकारी का प्रसार करके उचित माहौल बनाने के लिये प्रयासरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 68 लाख लोग न्यूरोलॉजीकल बिमारियों से मृत्यु को प्राप्त होते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकतर लोगों के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही आपकी बिमारियों के ईलाज हेतु अंतिम जगह होती है। अतः प्राथमिक स्तर पर न्यूरोलॉजी संबंधित परामर्श आवश्यक है।

विकासशील या अविकसित देशों में न्यूरोलाजी से संबंधित बिमारियों का विलंब से इलाज हेतु जो महत्वपूर्ण कारण है उनमें सरकारी तंत्र की विफलता, निपुण डाक्टर्स की कमी, दवाओं की कमी, तथा अंधविश्वास प्रमुख हैं।

न्यूरोलॉजीकल समस्याओं जैसे लकवा, मिर्गी, एल्जीमर्स तथा न्यूरोसर्जीकल समस्याओं जैसे सिर की चोट, साईटिका, ब्रेन ट्यूमर्स आदि से निपटने के लिये राजनीतिक एवं प्रशासकीय पहल एवं दृढ़ता, जागरूकता कार्यक्रम, अंधविश्वास से कारगर तरीकों से निपटने की तैयारी इत्यादि कार्यक्रमों की आवश्यकता है। कई छोटी-छोटी बातें जैसे हेलमेट एवं सीटबेल्ट का उपयोग सिर की गंभीर चोटों से बचाव कर सकती है, मेनिन्जाइटिस का टीकाकरण मलेरिया का तत्काल उपचार जैसी बातें बीमारियों की जटिलता तथा दुष्प्रभाव कम करती है।

न्यूरोलॉजी में एडवोकेसी की ज़रूरत

मेडिकल कालेजों में न्यूरोलाजी व न्यूरोसर्जरी विषय की शिक्षा-प्रशिक्षण को जितना स्थान मिलना चाहिये उतना नहीं मिला है। विभिन्न शासकीय अस्पतालों में मरीजों कि लिये न्यूरोसर्जरी-न्यूरोलाजी सेवाओं का ठीक से विकास नहीं हुआ है। विश्य स्वास्थ्य संगठन और केंद्रीय तथा प्रादेशिक स्वास्थ्य मंत्रालयों में पदस्थ नीति निर्माताओं ने न्यूरोलाजी न्यूरोसर्जरी की उपेक्षा करी है। न्यूरोलाजिकल बीमारियों का सामुदायिक बोझ बहुत अधिक है तथा बढ़ता जा रहा है। न्यूरोलाजी के लिये विभिन्न स्तरों पर पैरवी की जरूरत है। इसे एड्‌वोकेसी कहते हैं। इस विषय पर भी 2 कुछ सामग्री इस उम्मीद के साथ दी गई है कि न्यूरोलाजिस्ट और न्यूरोसर्जन्स को अहसास हो कि उन्हें पैरवी के काम में भी आगे आना है। तभी हम अपने मरीजों को वह बेहतर सेवाएं दे पायेंगे जिसकी कि उन्हें जरूरत है तथा जिसके वे हकदार है।

एड्‌वोकेसी या पैरवी

न तो कोई इन्सान अकेला है या द्वीप के समान है और न डाक्टर्स या उनकी संस्थाएं। डाक्टर्स द्वारा खुद से और अन्य लोगों द्वारा उम्मीद की जाती है कि वे अपने प्रोफेशनल काम में निष्णात होंगे तथा अपने मरीजों के प्रति उत्तरदायी होंगे। परन्तु प्रायः इस बात को भुला दिया जाता है कि डाक्टर्स को अपने वक्त की अनेक सामाजिक और राजनैतिक वास्तविकताओं से भी वाकिफ होना चाहिये तथा उनका सामना करते आना चाहिये। हम एक कहीं बड़ी दुनिया में जीते हैं जिसमें हमारे अस्पताल हमारी टीम और हमारे मरीजों के अलावा और भी दूसरे समूह, लोग व संस्थाएं शामिल है। अनेक अवसरों पर क्या हमें ऐसा नहीं लगता कि बहुत सी बातें हैं, मुद्दे हैं, परिस्थितियाँ हैं जिन्हें बदलने की जरूरत है ताकि हम अपना काम बेहतर तरीके से कर सकें, स्वयं के हितों की तथा अपने मरीजों के हितों की रक्षा तथा श्रीवृद्धि कर सके। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कुछ अवांछित परिवर्तनों का विरोध करना पड़े। मुद्दे अनेक प्रकार के हो सकते हैं जैसे- मरीजों की देखभाल या अपने प्रोफेशनल विषय का विकास। ऐसे हालातों में जो करना पड़ता है उसे एड्‌वोकेसी या पैरवी कहते हैं।

सामाजिक सक्रियता (सोशल एक्टीविज़्म) तथा लीडरशिप (नेतृत्व) भी इसी से जुड़े हुए कार्यकलाप हैं। चिकित्सकों के लिये एड्‌वोकेसी का बहुत महत्व है। हमारा काम सिर्फ डायग्नोसिस बनाना, दवाई लिखना, चाकू चलाना, पढ़ाना और शोध करना ही नहीं है। हमें सामाजिक रूप से सक्रिय होना जरूरी है।

एक न्यूरोलाजिस्ट के रूप में मैंने कुछ मुद्दों को महत्वपूर्ण माना, उस क्षेत्र में कुछ करने की कोशिश करी तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो संस्थाओं
1. न्यूरोलाजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (स्थापना 1953, सदस्यता 2000, मुख्यतया न्यूरोसर्जन्स तथा कुछ वरिष्ठ न्यूरोलाजिस्ट) और
2. इंडियन ऐकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (स्थापना 1990, सदस्यता 1000, मुख्यतया न्यूरोलाजिस्ट) के पदाधिकारियों से आव्हान किया कि राष्ट्रीय स्तर पर इन क्षेत्रों में कुछ किया जावे।

            1. देश में न्यूरोलॉजी व न्यूरोसर्जरी में प्रशिक्षण व सेवाओं की स्थिति पर आवश्यकता व प्रदाय के बीच मौजूद अंतर पर तथा न्यूरोलॉजी के सामुदायिक जनस्वास्थ्य दृष्टि से महत्व पर एक श्वेत पत्र तैयार करवाया जावे, जिसमें सटीक आंकड़ों और तथ्यों के अपनी बात रखी जावे। यह श्वेत पत्र राष्ट्रीय, राज्यस्तरीय, व स्थानीय स्तर पर मंत्रियों, अधिकारियों व मीडिया में अंग्रेजी व भारतीय भाषाओं में वितरित किया जावे।

            2. संसद व राज्यों की विधानसभाओं में विधेयकों के माध्यमों से न्यूरोलाजी सेवाओं को बेहतर बनाने की कोशिश की जावे जैसे न्यूरोलाजिकल विकलांगता कानून, राष्ट्रीय मिर्गी नियंत्रण कार्यक्रम, स्थानीय स्तर पर दुपहिया वाहन चालकों हेतु हेलमेट अनिवार्य होगा, राज्यस्तरीय पक्षाघात उपचार कानून आदि।

            3. डी.एम. न्यूरोलाजी और एम.सी.एच. न्यूरोसर्जरी की सीटें बढ़ें तथा अधिक ये अधिक शासकीय मेडिकल कालेजों में उक्त कोर्स आरम्भ हों।

            4. एम.बी.बी.एस., एम.डी. और एम. एस. के स्तर पर न्यूरोलाजी विषय की शिक्षा और प्रशिक्षण को बेहतर बनाने हेतु अच्छा सिलेबस बनाना, परीक्षण की वस्तुपरक विधियाँ विकसित करना। चिकित्सा महाविद्यालयों में उक्त विषयों का अध्यापन केवल विशेषज्ञों द्वारा ही करवानी की व्यवस्था होना। छात्रों में न्यूरोलाजी के प्रति रूचि और उसमें ज्ञान बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय न्यूरोक्किज आयोजित करना।

            5. ग्रामीण क्षेत्रों में तथा शहरों में कार्यरत प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मियों और जनरल प्रेक्टिशनर्स को न्यूरोलाजी का मूलभूत, सरल पर आधुनिक ज्ञान देने तथा परखने के लिये सतत् कोर्स चलाना।

            6. न्यूरोलाजी विषय में भारतीय भाषाओं में सघन, सतत्, व्यापक, बहुविध जनस्वास्थ्य शिक्षा तथा मरीज शिक्षा अभियान चलाना। मुद्रित सामग्री, आडियो वीडियो, ड्रामा, फिल्म और इंटरनेट वेबसाईट आदि तमाम साधनों का सहारा लिया जाना चाहिये।

            7. विभिन्न न्यूरोलाजिकल बीमारियों से ग्रस्त मरीजों के स्वयं सहायता समूहों की व्यापक स्थापना व समर्थन की मुहिम चलाना ताकि देश भर में दसियों बीमारियों के सैकड़ों हजारों संगठनों का एक नेटवर्क बने जो अपने हितों के लिये एड्‌वोकेसी कर सकें।

            8. न्यूरोलाजिस्ट व न्यूरोसर्जन्स को पैरवी /एड्‌वोकेसी के काम में रुचि जगाने व निपुण बनाने के लिये प्रशिक्षण कोर्स चलाना।

उक्त विचारों तथा उन्हें अमलीजामा पहनाने की प्रेरणा, विचार व करने का तरीका सीखने का मौका हम कुछ न्यूरोलाजिस्ट को अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलाजिस्ट के एक सफल, लोकप्रिय व प्रतिष्ठित कार्यक्रम पालाटुकी एड्वोकेसी फोरम से मिला। डॉ. अपूर्व पौराणिक, इन्दौर, डॉ. मनमोहन मेहंदीरता (नई दिल्ली), डॉ. लक्ष्मी नरसिम्हन (चैन्नई), डॉ. ममता भूषण सिंह (नई दिल्ली) ने वर्ष में एक बार होने वाला पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया और फिर अपनी रूचि के अनुसार एक्शन प्लान बनाये।

न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी को सच में पैरवी की बहुत जरूरत है। बड़ी संख्या में डाक्टर्स को आगे आना पड़ेगा, नेतृत्व का प्रशिक्षण लेना होगा, काम करना होगा।

***

<< सम्बंधित लेख >>

Skyscrapers
Meeting of National Task Force on Brain Health on 11th September 2024

Advocacy for Neurology: Local, Regional and National Advocacy is a very broad term with multiple meanings and nuances for different…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
न्यूरो साइंस (Neuro science)

1. मस्तिष्क की कार्यविधि – सूक्ष्म से गूढ़ तक (The working of brain from micro to macro) 2. मस्तिष्क /…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
मिर्गी और ‘हलातोल’

एक जटिल संसार में चुनौती भरी कला यात्रा हलातोल मालवी भाषा (बोली) का शब्द है। इसका अर्थ समझना तो कठिन…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
चिट्ठा संसार (ब्लॉग)

डॉ . अपूर्व पौराणिक द्वारा पढ़ने के अध्ययन करने के, लिखने के और बोलने के विषयों की सूचि लम्बी और विविध…

विस्तार में पढ़िए


अतिथि लेखकों का स्वागत हैं Guest authors are welcome

न्यूरो ज्ञान वेबसाइट पर कलेवर की विविधता और सम्रद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अतिथि लेखकों का स्वागत हैं | कृपया इस वेबसाईट की प्रकृति और दायरे के अनुरूप अपने मौलिक एवं अप्रकाशित लेख लिख भेजिए, जो कि इन्टरनेट या अन्य स्त्रोतों से नक़ल न किये गए हो | अधिक जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करें

Subscribe
Notify of
guest
0 टिप्पणीयां
Inline Feedbacks
सभी टिप्पणियां देखें
0
आपकी टिपण्णी/विचार जानकर हमें ख़ुशी होगी, कृपया कमेंट जरुर करें !x
()
x
न्यूरो ज्ञान

क्या आप न्यूरो ज्ञान को मोबाइल एप के रूप में इंस्टाल करना चाहते है?

क्या आप न्यूरो ज्ञान को डेस्कटॉप एप्लीकेशन के रूप में इनस्टॉल करना चाहते हैं?