
मैं अपूर्व पौराणिक स्वयं के परिचय में सदैव कहता हूँ – I am Doubly Blessed.
मुझे दौहरे आशीर्वाद मिलते हैं |
एक डॉक्टर के रूप में मेरे मरीजों व उनके परिजनों से
एक शिक्षक के रूप में मेरे छात्रों से |
मुझे दोनों भूमिकाएं प्रिय हैं, लेकिन यदि किसी को चुनने को कहा जावे तो ‘शिक्षक’ कहलाना अधिक पसंद करूँगा |
Teaching is my First-Love
अध्यापन मेरा पहला प्यार हैं |
कुछ तो माता-पिता से विरासत में मिला | जीन्स के माध्यम से तथा परवरिश के माहौल के कारण | कुछ स्वतः धीरे धीरे विकसित होता गया |
एक अच्छी क्लास मुझे “High” देती हैं | नीरजा पौराणिक (पत्नी) लिखती हैं – “उस दिन मैं मानो नशे में धुत घर लौटता हूँ |”
मेरे मित्रों ने (ISM) प्रत्यय की पैरोडी बना रखी थी |
जैसे Optimism, Sadism, Masochism, Pessimism, Socialism वैसे ही पढ़ाने के प्रति लगन के लिए ‘Appuchism’.
डॉक्टर अपूर्व पौराणिक द्वारा चिकित्सा शिक्षा पर लिखित कुछ महत्वपूर्ण लेख
1. डॉक्टर मरीज़ संवाद – रोग की कहानी जानने की कला
2. एम.बी.बी.एस. प्रथम वर्ष के छात्रों के लिये स्वागत भाषण
3. “क्लिनिकल सेन्स” Clinical Sense (Language: English Hindi Mix)
4. चिकित्सा शिक्षा में मानविकी (Humanitiy in Medical Education)
5. एम.डी. मेडिसिन में तीन वर्षीय रेसीडेंसी शुरू करने वाले युवा डॉक्टर्स को संबोधन
6. जनरल प्रेक्टिशनर्स तथा मेडिसिन विशेषज्ञों के लिये म.प्र. राज्य स्तरीय न्यूरोलॉजी प्रशिक्षण कोर्स
7. चिकित्सा छात्रों में न्यूरोलॉजी विषय के लिए रूचि व ज्ञान बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय वार्षिक न्यूरो – क्विज़ प्रतियोगिता”
8. डॉक्टर्स का माइंड कैसे काम करता हैं