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दुर्घटनाएँ – Accidents



पुराने जमाने से ही मानव दुर्घटनाओं का शिकार रहा है। युनानी विचारक हेरोडोटोस ने कहा था “दुर्घटनाएँ मनुष्य पर राज करती हैं न कि मनुष्य दुर्घनाओं पर। आज जबकि चिकित्सा विज्ञान ने अनेक महामारियों पर विजय प्राप्त कर ली है, दुर्घटनाओं की महामारी एक चुनौती बन कर उभरी है जिसकी रोकथाम व नियंत्रण के लिये भी उतने ही गंभीर प्रयत्नों की आवश्यकता है जितने अन्य क्षेत्रों में किये गये।
विकसित देशों में अनेक सर्वेक्षणों के आधार पर यह पाया गया कि मृत्यु के कारणों की सूची में कैन्सर व हृदय रोगों के बाद दुर्घटना का ही स्थान है। संसार में प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक व्यक्ति दुर्घटनाओं के कारण मरते हैं। National Safety Council USA के अनुसार अमेरिका में 53 करोड़ डॉलर्स का अपव्यय केवल दुर्घटनाओं के कारण ही होता है।

आइये, हम दुर्घटनाओं के विश्लेषण, कारणों व बचने के उपायों पर एक दृष्टि डालें। सबसे पहले डॉ. अपूर्व पौराणिक दुर्घटनाओं का विश्लेषण कर उनके कारणों के सम्बंध में बताएंगे।

दुर्घटनाएँ होती नहीं वे की जाती हैं। Accidents don’t happen, they are caused. इन कारणों की सूची बहुत लम्बी है। व अलग-अलग दुर्घटनाओं के लिये विभिन्न प्रकार के कारण होते हैं। अधिकांश मामलों में मानवीय कारणों का महत्वपूर्ण स्थान है। कुछ लोगों का व्यक्तित्व ही इस प्रकार का होता है कि उन्हें दुर्घटनागामी या Accident prone कहा जा सकता है। ये लोग मानसिक दृष्टि से कुछ अपरिपक्व होते हैं तथा जीवन जीने की इनकी शैली खतरों से भरी होती है। कहावत है कि मनुष्य जिस तरह जीता है उसी तरह ड्राइव करता है।

दुर्घटनागामिता का सिद्धांत सबसे पहले ग्रीनवुड द्वारा 1919 में वन्यूबोल्ड द्वारा 1926 में रखा गया था। इन्होंने औद्योगिक दुर्घटनाओं का विश्लेषण कर यह दर्शाने का प्रयत्न किया था कि कुछ लोग लगातार एक से अधिक दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं और यह प्रवृत्ति उनमें जन्मजात होती है। परन्तु इस सिद्धान्त को पूरी तरह सत्य नहीं माना जा सकता। अन्य प्रवृत्ति स्थायी नहीं अस्थायी हो सकती है। उदाहरणार्थ व्यक्ति व मानसिक अवस्था व थकान भी होती है जिसे Skill fatigue कहते है- औद्योगिक संस्थानों के तकनीकी विभागों में कार्यरत व्यक्तियों में यह देखी जाती है।
शराब या अन्य नशे की दुर्घटना के कारण के रूप में उपेक्षा नहीं की जा सकती। नशे में भी होश बनाए रखने कूव्वत हर आदमी की अलग होती है लेकिन साधारण तौर पर रक्त में शराब की मात्रा 100 मिग्रा प्रति 100 मि.ली. से अधिक होना खतरनाक होता है।

यह तय करना कि, फला दुर्घटना का कारण नशे के प्रभाव में होना था, बड़ा मुश्किल काम है। आज भी वैज्ञानिक पत्रिकाओं में शराबीपन या नशे की गहराई को नापने के सरल उपायों की खोज की चर्चा चलती रहती है। इस बात का बड़ा कानूनी महत्व भी है।

उम्र और सेक्स का भी अपना प्रभाव होता है। यह पाया गया है कि नौजवान लोग अधेड़ उम्र वालों की अपेक्षा अधिक दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। यह क्यों कर हो सकता है? संभवतः युवा वर्ग के सदस्य जीवन के प्रति लापरवाह होते हैं तथा जीवन को साहसिक, गतिमान व उत्तेजनापर्ण ढंग से जीना चाहते हैं। इसके विपरीत 35 वर्ष की उम्र के बाद जीवन के प्रति दृष्टिकोण सावधानी व गम्भीरता से भरने लगता है। लेकिन 65 वर्ष की उम्र के बाद दुर्घटनागामिता फिर बढ़ने लगती है। इसका कारण शारीरिक है- उदाहरणार्थ- शक्ति का कम होना, दिखाई कम देना, और तात्कालिक निर्णय लेने की क्षमता का कुन्द होना।

जहाँ तक सेक्स का सवाल है घर की चारदिवारी के भीतर महिलाओं द्वारा होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या (जलना) ज्यादा है परन्तु बाहरी क्षेत्र में वे पुरुषों की अपेक्षा अधिक सावधान होती हैं। मासिक चक्र की अवस्था में कभी-कभी असर होता है। बच्चों की दुर्घटनाए अलग की प्रकार ही होती है। जैसे- जलना, डूबना, गिरना इत्यादि। गृहव्यवस्था गड़बड़ होने के अतिरिक्त माता-पिता का उत्तरदायित्व इस सम्बंध में महत्वपूर्ण है।

अनेक आँकड़ेबाजों ने एक और काबिले-गौर तथ्य की ओर ध्यान खींचा है- चन्द्रमा की स्थिति के साथ सम्बन्ध- कहते हैं कि पूर्णिमा के दिन अधिक दुर्घटनाएँ होती हैं, अधिक अपराध भी। सूर्य पर आने वाले जटिल चुम्बकीय तूफानों तथा अन्य मौसमी परिवर्तनों पर भी जिम्मेदारी थोपी गई है। परन्तु कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। चन्द्रमा समुद्र में ज्वार आने का कारण तो बनता है, मालूम नहीं मानव के मस्तिष्क के 80 प्रतिशत जल व लवणों पर उसका क्या प्रभाव होता होगा?

वैसे तो किसी भी रोग से ग्रस्त होना, दुर्घटना करने की संभावनाओं को बढ़ा देता है, लेकिन कुछ बीमारियाँ उल्लेखनीय हैं। आँखों के संबंध में दृष्टि क्षमता का कम होना, एक का दो दिखाई देना तथा रंग अन्धता या Colorblindness महत्वपूर्ण हैं।

Nervous system की बीमारियों में Epilepsy या मिर्गी का रोल स्पष्ट है। इसके अनेक रूप होते हैं। कुछ मामलों में “आँखों के आगे अंधेरा छा जाना’ जैसी सामान्य शिकायत भी Epilepsy का एक लक्षण हो सकती है। चिकित्सकों में इस बात पर कभी एक राय नहीं होती कि इस प्रकार के किसी एक रोगी को किस हद तक सक्रिय जीवन जीने की अनुमति देना चाहिये। आमतौर पर अकेले जीवन सड़क पर घूमने, पानी में तैरने,आग या ऊँचाई की जगहों पर काम करने, ज्यादा ड्राइविंग करने जैसी परिस्थितियों में सावधान रहने की सलाह दी जाती है। ऊँचा सुनना, डाइबिटीज या मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या हइपर टेंशन आदि अपने-अपने प्रकार से अनेक अवसरों पर दुर्घटनाओं की महामारी को नियंत्रित करने के लिये आवश्यक है।
अन्त में प्रकृति की अनजानी घोर शक्ति को प्रणाम किये बगैर नहीं रहा जा सकता। तूफान, भूकम्प ज्वालामुखी जैसे विकराल रूपों के अतिरिक्त कदम-कदम पर प्रकृति की छाया लगी रहती है और कई बार कहना पड़ना है दुर्घटनाएँ की नहीं जाती, वे तो हो जाती है।

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