“पृष्ठ स्मृति”
“पुस्तक चिन्ह”

किताबें पढ़ने के शौक़ीन लोग बुकमार्क्स की उपयोगिता जानते हैं। अनेक पुस्तकें विशेषकर वे जो बड़ी हो, एक बार में नहीं पढ़ी जा सकती। सैकड़ो पृष्ठों वाले उपन्यास आदि पढ़ने में कई दिन-सप्ताह लग जाते हैं। पुस्तक बंद करने के बाद , पुनः उसी पेज पर पहुंचना, जहा थे, कभी कभी तुरंत नहीं हो पता। आगे पीछे ढूँढना पड़ता हैं । समय ज़ाया होता हैं। बुकमार्क्स पृष्ठ स्मृति का काम करते हैं।
बुकमार्क्स का इतिहास पुराना हैं। अनेक शताब्दियों से कागज़, गत्ता, कपड़ा, चमड़ा, धातु, धागे आदि के “पुस्तकचिन्ह” चलन में रहे हैं। इनकी सुंदरता(Aesthetics) के लिए नाना प्रकार के कला प्रयोग हुए हैं। इनकी उपयोगिता व रोचकता बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के सन्देश लिखे जाते हैं।
डॉ अपूर्व पौराणिक द्वारा विभिन्न अवसरों पर अलग अलग प्रकार के बुकमार्क्स -सेट मुद्रित और वितरित किये जाते रहे हैं। एक स्थाई सन्देश रहता हैं – “पढ़ो, खूब पढ़ो, अच्छा पढ़ो,पढ़ो और खुश रहो। Happy Reading “
अन्य संदेशो के विषय रहे हैं – न्यूरोलॉजी का महत्त्व, अफेज़िया या वाचाघात की पैरवी, पौराणिक न्यूरोसेंटर पर उपलब्ध सेवाएं, न्यूरो क्विज़ तथा न्यूरोलॉजी सर्टिफिकेट कोर्स में शिरकत करने वालों के लिए लघु रिटर्न-गिफ्ट या सूवनिर या आभार प्रदर्शित।
अन्य संदेशो के विषय रहे हैं – न्यूरोलॉजी का महत्त्व, अफेज़िया या वाचाघात की पैरवी, पौराणिक न्यूरोसेंटर पर उपलब्ध सेवाएं, न्यूरो क्विज़ तथा न्यूरोलॉजी सर्टिफिकेट कोर्स में शिरकत करने वालों के लिए लघु रिटर्न-गिफ्ट या सूवनिर या आभार प्रदर्शित।
निचे कुछ बुकमार्क्स प्रदर्शित किये गए हैं, एक-एक बुकमार्क्स पर क्लिक करें एवं देखे एवं अपने बुक मार्क्स के बारे में कोई विचार या प्रश्न होतो कृपया कमेन्ट कर अगवत कराएं |