रक्त नली से संबंधित न कि नसों से संबंधित
हमारे शरीर में दो तरह की रक्त नलियाँ होती हैं, धमनियाँ (आर्टरीज़) एवं शिराएं (वेन्स)। धमनियों का कार्य शुद्ध रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाना होता है एवं शिराओं का कार्य अशुद्ध रक्त को शरीर के विभिन्न अंगों से लेकर वापस हृदय – को पहुंचाना है। विभिन्न कारणों से शिराओं का मुड़ना व आकार में – बड़ा हो जाना जिससे वो त्वचा के समीप नंगी आंखों से दिखने लगती है, इसे ही वेरिकोज वेन कहते हैं। बहुतायत में यह पांव में होती है।
कारण
शिराओं में एक तरफा वाल्व होते हैं जो हृदय तक रक्त – पहुंचाने में मदद करते हैं। किसी कारण से जब यह वाल्व अपना काम सही नहीं कर पाते तो शिराओं व अंगों में खून का जमाव होने लगता है।
किन्हें अधिक होता है?
प्रायः मोटे व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं व ऐसे व्यक्ति जिनका कार्य लम्बे समय तक खड़े रहने का होता है। ऐसे व्यक्तियों में यह समस्या बहुतायत से देखी जाती है।
लक्षण
वेरीकोज वेन त्वचा के नीचे दिखने में गहरी नीली, फूली एवं मुड़ी दिखती है। कुछ व्यक्तियों में कोई लक्षण नहीं दिखता, मगर कुछ में पांव का भारीपन पांव में जलन, थकावट, पांव में दर्द – आदि समस्याएं पाई जाती हैं। लम्बे समय तक खड़े रहने से या पांव लटका कर लम्बे समय तक बैठे रहने से यह समस्या प्रायः बढ़ जाती है।
कुछ लोगों में गम्भीर लक्षण जैसे पांव की सूजन, पिंडलियों में असहनीय दर्द, पांव की त्वचा के रंग में परिवर्तन भी पाए जाते हैं।
निदान
सामान्य लक्षण वाले मरीजों में निम्न उपाय से फायदा होता है।
– दबाव वाले मौजे पहनना
– लेटते समय पांव को शरीर के अनुपात से उपर उठाकर रखना।
– लम्बे समय तक खड़े रहने या बैठने वाले कार्य से बचना।
– पांव के सक्रीय व्यायाम करते रहना । शरीर के वजन को नियंत्रित रखना ।
गम्भीर लक्षण वाले मरीजों में सर्जरी से फायदा होता है, इस हेतु सर्जन से सलाह लेनी चाहिये।
प्रायः देखा गया है कि वेरीकोज वेन को नसों की बिमारी समझ कर लोग न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाते हैं, लेकिन यह रक्त-नलियों से संबंधित है, जिसके लिये सामान्य सर्जन व चर्म रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिये।