गूगल अनुवाद करे (विशेष नोट) :-
Skip to main content
 

चक्कर (Vertigo)


चक्कर – एक आम शब्द, जितने मुंह उतने प्रकार। अनेक विभिन्न रोगों (हालांकि वे सचमुच में चक्कर नहीं होते) को चक्कर के नाम से बताना। चलने में संतुलन की कमी हो तो चक्कर। अचानक आँखों के सामने अंधेरा छा जाये और गिरने को हों तो, चक्कर। मिर्गी के दौरे हों तो, चक्कर। मगर इनमें से कोई भी लक्षण चिकित्सकीय शब्दावली द्वारा परिभाषित चक्कर नहीं हैं, तो फिर प्रश्न यह है कि आखिर चक्कर है क्या ?

चक्कर को चिकित्सकीय भाषा में वर्टाईगो कहते हैं। वर्टाईगो ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति गति की अनुभूति करता है, जबकि वह वास्तव में स्थिर होता है। यह अंतर्कर्ण (इनर ईयर) के वेस्टी बुलर तंत्र की दुष्क्रिया के कारण उत्पन्न होता है। वर्टाईगो की स्थिति में जी मचलता है और उल्टी हो सकती है। खड़े पहने या चलने में कठिनाई हो सकती है। वर्टाईगो तीन तरह के होते हैं।

वस्तुनिष्ठ – चीजें रोगी के चारों ओर घूमती हुई प्रतीत होती हैं।

व्यक्तिनिष्ठ – रोगी स्वयं घूमता हुआ अनुभव करता है।

छद्म – रोगी के सिर के भीतर घूमता हुआ सा अहसास होता है।

वर्टाईगो बहुतायत में होने वाला रोग है। यह लगभग 20-30% लोगों में होता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। पुरुषों की तुलना में स्त्रीयों में यह रोग 2 से 3 गुना अधिक होता है।

कारण

वर्टाईगो रोग का संबंध अंतः कर्ण (इनरईयर) से होता है। हमारे कान के तीन भाग होते हैं। बाहरी (पिन्ना), मध्य (कान के पर्देवाला हिस्सा, और अंतःकर्ण (इनरईयर)। इस इनर ईयर में होने वाली खराबी के कारण के स्थान के आधार पर चक्कर के कारण को दो प्रकार में रखा जाता है। बाहरी और केंद्रीय वर्टाईगो कभी-कभी मनोवैज्ञानिक कारण भी देखे जाते हैं।

अ. पेरीफेरल कारण वर्टाईगो के बाहरी कारण कई स्थानों पर हो सकते हैं, जैसे अंतः कर्ण में स्थित सेमी सर्कुलर केनाल, वेस्टीबुला एवं वेस्टीबुलर नर्व मिल कर वेस्टीबुलर तंत्र का निर्माण करते हैं। इस तंत्र में होने वाली खराबी के कारण होने वाला वर्टाईगो का प्रतिशत अन्य बाहरी कारणों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं। (32%) इसके अलावा मीनियर रोग (जिसमें चक्कर के साथ कानों में मशीन की आवाजें आती हैं, एवं सुनने की शक्ति में कमी आ सकती है। लेबिरिन्थाईटिस आदि बाहरी चक्कर के मुख्य कारण हैं। गले का इन्फेक्शन (संक्रमण) कई बार कानों तक पहुंच जाता है और वर्टाईगो के बाहरी कारण में शामिल हो सकता है।

ब. केंद्रीय कारण – मस्तिष्क के भीतर स्थित कुछ भाग जैसे ब्रेन स्टेम और सेरीबेलम में होने वाले आघात के कारण भी चक्कर आते हैं और ये केंद्रीय कारण में शामिल होते हैं। आघात के कारण में बाहरी चोट (जैसे ऐक्सीडेंट), मस्तिष्क के भीतर रक्तस्त्राव (हेमरेज) या रक्त का थक्का जमना (इश्चेमिया), गांठ का होना आदि मुख्य होते हैं।

अतः वर्टाईगो होने पर यह सुनिश्चित कराना आवश्यक होता है कि चक्कर का कारण ऊपरी है या केंद्रीय।

प्रकार

विभिन्न लक्षणों के आधार पर वर्टाईगो को कई प्रकार में रखा जाता है, जैसे कुछ मुख्य प्रकार हैं –

अ. बेनाईन पेरीफेरल पोजिशनल वर्टाईगो वर्टाईगो का सबसे मुख्य प्रकार अंतःकर्ण में स्थित सेमीसरकुलर केनाल में केल्शियम कार्बोनेट के जमा हो जाने से होने वाली चक्कर की स्थिति। केवल कुछ ही मिनटों के लिये, आड़ा तिरछा देखने पर या करवट लेने पर सब कुछ अत्यंत तेजी से घूमने लगता है, इतना तेज कि आँखें बंद करना पड़ती है। जी मचलता है, उल्टी की भी शिकायत हो सकती है।

ब. मीनियर रोग – किसी कारण से अंतःकर्ण में स्थित इण्डोलिम्फेटिक द्रव के बढ़ जाने के कारण यह होता है। चक्कर के अलावा, कानों में भारीपन का अहसास, कानों में सीटियाँ या मशीन की आवाजों का बने रहना, उल्टी आना, कानों से सुनाई कम पड़ना, चलने में असंतुलित होना आदि इसके मुख्य लक्षण हैं।

स. वेस्टीबुलर न्यूराईटिस मुख्यतः वायरल संक्रमण के कारण अंतःकर्ण की खराबी से होने वाला रोग। तेज चक्कर के साथ जी मिचलाना, उल्टी होना और सामान्य शारीरिक असंतुलन इसके मुख्य लक्षण होते हैं। शारीरिक असंतुलन कई दिनों तक रह सकते हैं।

द. माईग्रेनस वर्टाईगो (या वेस्टीबुलर वर्टाईगो) बार बार होने वाले सिरदर्द के साथ आने वाले चक्कर का मुख्य कारण माईग्रेनस वर्टाईगो होता हैं।

ई. लिबिरिन्थाईटिस मस्तिष्क और कानों के तार जुड़े रहते हैं, नर्वस् के जरिये। काकलियर नर्व आवाज और शब्द सुनकर सूचना भेजने का काम करती है और वेस्टीबुलर नर्व उस संदेश के अनुसार शारीरिक स्थिति को संतुलित करती है, बेलेन्स करती है। किसी संक्रमण के कारण यदि इन दोनों ही नर्व में से किसी का भी बेलेन्स गड़बड़ हो जाता है तो वर्टाईगो की स्थिति पैदा हो जाती है।

निदान

मरीज द्वारा दी गई कथावृत के आधार पर चिकित्सक वर्टाईगो रोग के सही प्रकार की पहचान करते हैं। इसके अलावा मरीज को लिटाकर वर्टाईगो की जांच की जाती है, जैसे डिक्स हॉलपाईक टेस्ट, रोटेशन टेस्ट, हेड थ्रस्ट टेस्ट आदि। इलेक्ट्रोनिस्टेग्मोग्राफी के द्वारा वेस्टीबुलर तंत्र की जांच कराई जाती है। कम्प्यूटराईज्ड पोश्चरोग्राफी (सीडीपी) की जांच भी उपयोगी होती है। कभी-कभी सीटी स्केन एवं एमआरआई की जांच के द्वारा भी रोग के कारण को ज्ञात करने में मदद मिलती है। वर्टाईगो से संबंधित कान की सुनाई देने की क्षमता कम होने पर प्योरटोन ऑडियोमिटरी, ऑकेस्टिक रिफ्लेक्स, इलेक्ट्रो कॉक्लियोग्राफी की जांच कराई जाती है।

<< सम्बंधित लेख >>

Skyscrapers
Meeting of National Task Force on Brain Health on 11th September 2024

Advocacy for Neurology: Local, Regional and National Advocacy is a very broad term with multiple meanings and nuances for different…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
न्यूरो साइंस (Neuro science)

1. मस्तिष्क की कार्यविधि – सूक्ष्म से गूढ़ तक (The working of brain from micro to macro) 2. मस्तिष्क /…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
मिर्गी और ‘हलातोल’

एक जटिल संसार में चुनौती भरी कला यात्रा हलातोल मालवी भाषा (बोली) का शब्द है। इसका अर्थ समझना तो कठिन…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
चिट्ठा संसार (ब्लॉग)

डॉ . अपूर्व पौराणिक द्वारा पढ़ने के अध्ययन करने के, लिखने के और बोलने के विषयों की सूचि लम्बी और विविध…

विस्तार में पढ़िए


अतिथि लेखकों का स्वागत हैं Guest authors are welcome

न्यूरो ज्ञान वेबसाइट पर कलेवर की विविधता और सम्रद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अतिथि लेखकों का स्वागत हैं | कृपया इस वेबसाईट की प्रकृति और दायरे के अनुरूप अपने मौलिक एवं अप्रकाशित लेख लिख भेजिए, जो कि इन्टरनेट या अन्य स्त्रोतों से नक़ल न किये गए हो | अधिक जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करें

Subscribe
Notify of
guest
0 टिप्पणीयां
Inline Feedbacks
सभी टिप्पणियां देखें
0
आपकी टिपण्णी/विचार जानकर हमें ख़ुशी होगी, कृपया कमेंट जरुर करें !x
()
x
न्यूरो ज्ञान

क्या आप न्यूरो ज्ञान को मोबाइल एप के रूप में इंस्टाल करना चाहते है?

क्या आप न्यूरो ज्ञान को डेस्कटॉप एप्लीकेशन के रूप में इनस्टॉल करना चाहते हैं?