न्यूरोज्ञान पाठकों को डॉ. अपूर्व पौराणिक का नमश्कार ।
इस खंड की थीम रहेगी चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में हो रही विभिन्न खोजे, उनकी उपयोगिता, उनका समाज पर प्रभाव आदि | चिकित्सा विज्ञान का क्षेत्र एक वृहद क्षेत्र है, जिसमे अनवरत विभिन्न शोध कार्यक्रम चलते रहते है, जिससे बीमारियों से सम्बंधित नई नई जानकारी, उनके उपचार के नए नए तरीके सामने आते रहते है |
इस तरह की शोधों के बारे में जानकारी रखना न केवल डॉक्टर्स के लिए उपयोगी है, बल्कि आम जनमानस को भी जागरूकता हेतु इन सब की जानकारी होना चाहिए |
अभी कुछ सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी ने नागपुर में वार्षिक भारतीय विज्ञान कांग्रेस में राष्ट्र के विकास में साइंस की महत्ता पर जोर देते हुए उनके नारे को दोहराया था – जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान ।
22 जनवरी को, मुझे भोपाल में ‘भारत अन्तराष्ट्रीय विज्ञान उत्सव” में भाग लेने का मौका मिला । अद्भुत नजारा था । हजारो स्कूली छात्र, हजारों युवक युवतिया और वयस्कजन, दसियों प्रकार के पंडाल, सभाग्रहों, कक्षाओं में नाना प्रकार के वैज्ञानिक विषयों पर चर्चा कर रहे थे । जादू के खेल थे । कठपुतलियों का नृत्य था । शेडो थिएटर था । रोचक प्रदर्शनियां थीं । समूह चर्चाओं में विचार मंथन हो रहा था । ग्रामीण हस्तशिल्प और बच्चों के खिलौने के पीछे का विज्ञान समझा जा रहा था । मैंने केवल एक गतिविधि में भाग लिया जिसका नाम था “विज्ञानिका” ।
“अपनी भाषा अपना विज्ञान” में भारत अनेक भाषाओँ में विज्ञानं संचार की विधियों, कलेवर, उपलब्धियों और चुनौतियों पर चर्चा हुई ।
भारतीय परिपेक्ष में विज्ञान संचार पर दो सत्रों में देश के कोने कोने से आये साइंस-जर्नलिज्म के क्षेत्र में काम करने वाले प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किये । मैंने हिन्दी में विज्ञान प्रसार के क्षेत्र में मेरे कामों के बारे में बताया ।
न्यूरोज्ञान के इस खंड पर मैं प्रति सप्ताह विज्ञान से जुड़ी खोज खबरे साझा करूँगा और बाते करूँगा ।
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