मिर्गी एक आम बीमारी है। लगभग दो सौ व्यक्तियों में से एक को होती है, अर्थात पूरे भारत में लगभग ४०,००,००० मरीज। अधिकांश पाठकों के मन में जिज्ञासा हो सकती है कि इतनी बड़ी संख्या में मरीज चारों ओर हैं तो वे दिखते क्यों नहीं ! इसकी वजह यह है कि अधिकांश मरीजों को आने वाले दौरों की संख्या बहुत कम होती है कभी-कभार बाकी समय वे भले चंगे रहते हैं।
सबके बीच उठते -बैठते हैं, हँसते, बोलते हैं, काम करते हैं | उनके चेहरे पर नहीं लिखा होता कि उन्हें मिर्गी है । अच्छा ही है कि नहीं लिखा होता, वरना आप और हम उन्हें जाने कैसी-कैसी निगाहों से देखते, न जाने कैसा-कैसा सलूक करते | उनसे डरते, कतराते, दूर भागते, घृणा करते, दया करते, दोस्ती न करते, रिश्ता न बनाते, शायद भोजन पानी साथ न करते ।
लेकिन यह सब होता है। उन मरीजों के साथ प्राय: होता है जिनके बारे में अधिकाधिक लोगों को ज्ञात होने लगता है कि उन्हें मिर्गी है । दुर्भाग्य से उन मरीजों के साथ अधिक होता है, जिनमें मिर्गी रोग की तीव्रता ज्यादा होती है । बार-बार दौरे आते हैं, हर कहीं, हर किसी के सामने आ जाते हैं | सौभाग्य से ऐसे मरीज तुलनात्मक रूप से कम हैं | परन्तु उन्हें लेकर जो मानसिक प्रतिबिम्ब लोग अपने दिमाग में गड़ लेते हैं वही धारणा, वही कल्पना सजीव हो उठती है जब-जब किसी व्यक्ति के बारे में मिर्गी का उल्लेख होता है । मिर्गी के अधिकांश रोगियों के संदर्भ में उक्त मानसिक प्रतिबिम्ब गलत है। मिर्गी के बारे में गलत रूप से थोपी गई धारणाओं के कारण उसके मरीज अपनी बीमारी छुपाते हैं, कभी-कभी झूठबोल जाते हैं।
मिर्गी क्यों होती हैं
मस्तिष्क में बहने वाली विद्युत गतिविधि की स्वाभाविक लय व मात्रा में गड़बड़ी आने से यह रोग होता है। मिर्गी मस्तिष्क में किसी भी प्रकार की खराबी (पुरानी चोट, इंफेक्शन आदि) इसका कारण बन सकती है । मिर्गी रोग में व्यक्ति गिर सकता है, बेहोश हो सकता है, हाथ-पाँव में झटके आते हैं | मिर्गी के अन्य प्रकार भी होते, जिनमें फिट या बेहोशी नहीं आती परन्तु एक ओर के हाथ-पाँव में झटके आते हैं या झुनझुनी होती है या झुनझुनी होती हैं या अजीब सी हरकतें की जाती हैं | दौरे के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि विद्युत गड़बड़ी मस्तिष्क के कौन से भागमें व्याप्त है तथा उस भाग द्वारा शरीर का कौनसा कार्य नियंत्रित होता है।
मिर्गी रोग में पैदा होने वाली खराबी बार-बार आ सकती है । हर बार प्राय: एक जैसी होती है। बहुत थोड़ी अवधि की होती है। शेष समय व्यक्ति सबके समान स्वस्थ्य होता है | मिर्गी का निश्चित कारण होता है । ऊपरी हवा का प्रभाव नहीं है । यह छूत से नहीं लगती | अधिकांश मामलों में यह रोग खानदानी नहीं होता | मिर्गी पागलपन की निशानी नहीं है | व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है | वह पढ़ लिखकर नौकरी कर सकता है, शादी कर सकता है, बच्चे पैदा कर सकता है मिर्गी किसी को भी हो सकती है, बच्चा, बड़ा, बूढा, औरत, आदमी सभी को | गरीब, अमीर, देहाती, शहरी, अनपढ़, पढ़े लिखे | हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सभी को | मानसिक तनाव सा टेंशन से मिर्गी नहीं होती । न ही वह मेहनत करने या थकने से होती है । खान-पान से इसका संबंध नहीं है। यह शाकाहारी को भी हो सकती है और मांसाहारी को भी ।
दिमाग में खराबी आने के बहुत सारे कारण होते हैं | इनमें से कोई भी कारण मिर्गी पैदा कर सकता है। जैसे कभी सिर पर गहरी चोट लगी हो, दिमागी बुखार में बेहोशी रही हो, जापे के समय रूकावट के कारण बच्चे का सिर दब गया हो या साँस देर से खुली हो, दिमाग में किस्म किस्म की गाँठे बन गई हों या शराब या दूसरे नशे की आदत हो । दिमाग में आनी वाली गड़बड़ी को इलाज द्वारा ठीक किया जा सकता है।यदियह गड़बड़ी पूरी तरह न मिटे तो भी इलाज द्वारा दौरे रोके जा सकते हैं। |