गूगल अनुवाद करे (विशेष नोट) :-
Skip to main content
 

पक्षाघात के रोगी के सम्मुख घरेलु अवरोध


शारीरिक रूप से सीमाबद्ध पक्षाघात के रोगी के परिवार में रहते हुए सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। सुरक्षा के तौर पर बिखरी हुई कालीन या गलीचा और स्नानगृह की चटाई आदि को समेटना शामिल है। ये उन मरीजों के लिये जो कि चलने में कठिनाई महसूस करते हैं घातक सिद्ध हो सकती हैं,तब जब घर में आपात स्थिति आजाए और तुरंत सुरक्षित बाहर निकलना पड़े ।

कुछ प्रमुख अवरोध

  1. घर के बाहर सुरक्षा
  2. घर के अंदर सुरक्षा
  3. स्नानागार सुरक्षित रखना
  4. बिस्तर हेतु विशेष व्यवस्थाएँ
  5. बैठक कक्ष की व्यवस्था
  6. रसोई में अवरोंध या परेंशानी
  7. लम्बी अवधि की देंखभाल

घर के बाहर सुरक्षा

मरीज के घर के बाहर निकलते समय विशेष ध्यान देना पड़ता है। यदि रोगी को चलने में सहायता की आवश्यकता पड़ती हैं, तब प्रत्येक कदम पर ध्यान रखना होता है। ढलान पर कदम का अनुपात परिवर्तित हो जाता है । ढलान पर लंबाई प्रत्येक १२ इंच में एक इंच बढ़ी होना चाहिये | डलान पर उपर से नीचे उतरते समय जबकि अधिक कदमों की आवश्यकता होती है तब ‘जेड” का निर्माण करते हुए उतरना चाहिये। ढलान के साथ-साथ रैलिंग लगी होने से या कटघरे की मदद से भी सुरक्षा की जा सकती है ।
जिन व्यक्तियों के घर में गैरेज साथ ही जुड़ा हुआ रहता है, उन्हें गैरेज की ढलान अंदर की तरफ बनाना चाहिये ताकि मौसम परिवर्तन के समय गीलेपन या रपट से बचा जा सके और प्रवेश के बाहर समतल रखा जा सकता है।
यदि पक्षाघात का रोगी चलने में समर्थ है, तो प्रत्येक सीढ़ी के आसपास रैलिंग लगी होना चाहिये। यदि सीढ़ी सीमेंट की नहीं है तो यह सलाह दी जाती है कि नफिसलने वाली मैट या टेप लगी हो।
यह भी महत्वपूर्ण है कि बरांडा,सीढ़ी,साइड दीवारें और अन्य बाहरी क्षेत्र जिनका उपयोग रोगी करता है पत्थरों, मलवा, कचरा, बर्फ आदि से मुक्त होना चाहिये।

घर के अंदर सुरक्षा

घर के अंदर ऐसे कई घरेलू परिवर्तन होते हैं जिन्हें करना आवश्यक होता है। सभी बिखरे हुए कालीन या गलीचों और बाथरूम मेट आदि को समेटकर रख देना चाहिये ताकि गिरने से बचा जा सके | कालीन या बिछौने का कोई भी हिस्सा मुड़ा हुआ या घुमावदार नहीं होना चाहिये तथा किनारों से भी सुरक्षित होना चाहिये। टेलीफोन के लंबे तार दीवार के सहारे लगे हुए हों या फिर कारपेट के नीचे से लगे हुए होना चाहिये ताकि मरीज उसमें उलझने से बच सके | यह आवश्यक है कि घर का फर्नीचर इस प्रकार से व्यस्थित किया जाए कि मरीज को छड़ी, वॉकर या व्हीलचेयर आदि से चलने में परेशानी न हो ।

स्नानागार सुरक्षित रखना

पक्षाघात रोगी के लिये स्नानागार मुख्य समस्या होता है। स्नानागार का प्रवेश द्वार सबसे रूकावट वाला होता है| कई बार रोगी के लिये चलने के सहारे सहित व्हीलचेयर के लिये भी यह छोटा पड़ता है । इसके विकल्प के तौर पर इसे हटाया जा सकता है और इसके स्थान पर रॉड के साथ एक परदा प्रायवेसी के लिये लगाया जा सकता है ।शयनकक्ष में कमोड भी स्थापित किया जा सकता है।
कई पक्षाघात रोगियों को बाथरूम में विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। अत: अधिकतर यह सलाह दी जाती है कि प्रत्येक रोगी की आवश्यकतानुसार पहले विशेषज्ञ घर का मुआयना कर ले | विशेषज्ञ उपलब्ध न होने की स्थिति में ऐसी कई स्वास्थ संस्थाएँ हैं जो सहायता प्रदान करती हैं, उनकी मदद ली जा सकती है | यह महत्वपूर्ण है कि उपकरण खरीदने के पूर्व पूरे घर से भलीभाँति परिचित होना चाहिये | कई बार यह देखा गया है कि चिकित्सालय से रोगी घर पहुँचा दिया जाता है और बाद में ज्ञात, होता है कि मरीज की स्थिति के अनुसार उपकरण अनुपयोगी हैं। यदि घर का अवलोकन संभव न हो तो अतिरिक्त प्रयास से उपकरण को स्वयं देखा जा सकता है। प्राय: उठाई जा सकने वाली शौचालय शीट महत्वपूर्ण उपकरण है । बाजार में कई प्रकार की शौचालय शीट उपलब्ध रहती हैं । रोगी की ऊँचाई के अनुसार शीटपसंद की जा सकती है।
सहारे के लिये कई प्रकार की रैलिंग उपलब्ध रहती हैं जो शीट और शौचालय के बीच स्क्रू से लगाई जा सकती हैं या दीवार के सहारे भी पकड़ने के लिये लगा सकते हैं। किसी भी प्रकार का चयन परिस्थिति पर निर्भर करता है | यदि किराये के मकान में रह रहे हैं या स्वयं का ही है परंतु स्थायी रूप से उन उपकरणों को नहीं लगाना चाहते हैं तो अस्थायी उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है।
स्नानगृह में भी सहारे के लिये रैलिंग या पाइप लगाये जा सकते हैं। ये स्थायी भी हो सकते हैं और अस्थायी भी । दूसरी महत्वपूर्ण वस्तु स्नानागार में कुर्सी या न फिसलने वाली शीट हो सकती है जिसपर बैठकर सुरक्षित स्नान किया जा सके । साबुन को बाँधकर रखा जा सकता है |

यदि रोगी को स्नानादि में सहारे की आवश्यकता होती है तो हाथवाला शॉवर प्रयोग में लाया जा सकता है। सबसे आदर्श स्नान स्थिति यह हो सकती है कि शॉवर नहाने वाली कुर्सी के साथ ही लगा हुआ हो | शॉवर के आसपास सहारे के लिये पाइप आदि लगे हुए होना चाहिये |

बिस्तर हेतु विशेष व्यवस्थाएँ

पक्षाघात के रोगियों के लिये सुविधाजनक बिस्तर होना आवश्यक होता है, क्योंकि अधिकांश समय इस पर व्यतित किया जाता है। आसानी से बैठने और उतरने के लिये बिस्तर थोड़ा नीचे होना चाहिये | यदि बिस्तर अधिक ऊँचा है तो उसके पाए थोडे काटे जा सकते हैं। परिस्थिति के अनुसार उसे सुविधाजनक बनाया जा सकता है | प्राय: पुराने पलंग बहुत ऊँचे होते हैं, जिन पर बैठने में रोगी को कठिनाई होती है।
गद्दी या बिछौना बहुत अधिक मुलायम नहीं होना चाहिये। यह आवश्यक है कि कठोर बिछौना ही खरीदा जाए। कठोरता के लिये उसकेनीचे बोर्ड या तख्ता रखा जा सकता है
शयनकक्ष में यह प्रयास करना चाहिये कि कम से कम फर्नीचर रखा जाए। यह विशेष रूप से तब और आवश्यक हो जाता है जब व्हीलचेयर या अन्य उपकरण जैसे कमोड आदि भी शयनकक्ष में रखे हों।
उन रोगियों के लिये जो कि अधिकांश समय बिस्तर पर ही व्यतीत करते हैं, बिस्तर के साथ एक टेबल लगी हुई होना चाहिये, जिसके साथ शौचालय उपकरण आदि जुड़े हों । जहाँ मरीज आसानी से पहुँच सके। इसके अतिरिक्त बिस्तर पर ही एक घंटी का बटन होना चाहिये ताकि आवश्यकता पड़ने पर परिवार के सदस्य को बुलाया जा सके।

बैठक कक्ष की व्यवस्था

पक्षाघात रोगी की यदि शारीरिक सीमाएँ हैं, तो बैठक कक्ष भी समस्या उत्पन्न कर सकता है | मुलायम और गद्देदार फर्नीचर को परिवर्तित करना व्यक्तियों के लिये थोड़ा कठिन होता है। अत: कुशन के नीचे कठोर बोर्ड रखा जा सकता है | बैठक सुविधाजनक होना चाहिए | ज्यादा ढलानवाली बैठक होने से मरीज को फर्नीचर से उठने में परेशानी हो सकती है, अत: परिस्थिति अनुसार इन्हें व्यवस्थित किया जा सकता है।

रसोई में अवरोंध या परेंशानी

रसोई में कठिनाइयाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि मरीज कितना चलायमान है | यह पूर्व में ही दर्शाया जा चुका है कि फिसलने वाले गलीचे या कालीन हटा लेना चाहिये | अलमारी एवं फ्रिज आदि में सामान आसानी से पहुँच के भीतर होना चाहिये । यह सलाह दी जाती है कि काँच के सामानों की अपेक्षा प्लास्टिक का उपयोग किया जाये और प्लेट आदि किचन काउंटर पर ही रखी जायें । फिसलन इत्यादि को तुरंत साफ करना चाहिये | कई वस्तुओं की सहायता से पक्षाघात रोगी रसोई में कई काम कर सकते हैं


लम्बी अवधि की देंखभाल

घर पर विशेष उपकरणों आदि की व्यवस्था के पश्चात्‌ भी मरीज की लम्बे समय तक देखभाल करने की आवश्यकता होती है। इसके लिये वित्तीय और मानसिक दोनों रूप से तैयार रहना चाहिये।
विशेषज्ञ एवं चिकित्सक की थोडी सलाह से ही कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। अत: व्यावहारिक रूप से क्या समस्याएँ हैं? उनके निदान के लिये विशेषज्ञ को घर की संरचना एवं उपकरणों आदि के प्रयोग हेतु सलाह लाभकारी सिद्ध होती है। इससे मरीज में आत्मनिर्भरता आती है।

शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से पक्षाघात के रोगी के लिये यह सबसे अच्छी औषधि होती है कि वह अपनी मदद स्वयं करे और स्वयं अपनी दैनंदिनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर आत्मनिर्भरता प्राप्त करे |

<< सम्बंधित लेख >>

Skyscrapers
न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का उपचार

आज से दो तीन दशक पूर्व तक न्यूरोलॉजी के बारे में माना जाता था कि उसमें कोई खास इलाज नहीं…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
आप लिखें, खुदा बांचे

मैं अनपढ़ तो न था, काला अक्षर भैंस बराबर मालवा केसरी के प्रधान सम्पादक नृपेन्द्र कोहली गजब के पढ़ाकू हैं। उनकी…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
प्रति सेकण्ड दस बार – कम्पन

देवादित्य सक्सेना (69 वर्ष) को आज भी याद है, हाथों के कम्पन पर उनका ध्यान पहली बार हा गया कि | शायद दस…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
चाबी भरा खिलौना

चटखारे / (स्वचलन /ऑटोमेटिज्म) छुट्टी के दिन माँ के बनाए पकौड़ों की खुशबू से घर महक उठा था। सब छक…

विस्तार में पढ़िए


अतिथि लेखकों का स्वागत हैं Guest authors are welcome

न्यूरो ज्ञान वेबसाइट पर कलेवर की विविधता और सम्रद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अतिथि लेखकों का स्वागत हैं | कृपया इस वेबसाईट की प्रकृति और दायरे के अनुरूप अपने मौलिक एवं अप्रकाशित लेख लिख भेजिए, जो कि इन्टरनेट या अन्य स्त्रोतों से नक़ल न किये गए हो | अधिक जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करें

Subscribe
Notify of
guest
0 टिप्पणीयां
Inline Feedbacks
सभी टिप्पणियां देखें
0
आपकी टिपण्णी/विचार जानकर हमें ख़ुशी होगी, कृपया कमेंट जरुर करें !x
()
x
न्यूरो ज्ञान

क्या आप न्यूरो ज्ञान को मोबाइल एप के रूप में इंस्टाल करना चाहते है?

क्या आप न्यूरो ज्ञान को डेस्कटॉप एप्लीकेशन के रूप में इनस्टॉल करना चाहते हैं?