गूगल अनुवाद करे (विशेष नोट) :-
Skip to main content
 

बंद घड़ी भी बताती है दो बार सही समय


जब साल्वेडार डाली से कहा गया कि वह स्त्री पुरुष संबंधों पर व्याख्यान देने आए तो वह सभा में गोताखोरों की पोखाक पहन कर चला गया। उसका कहना था कि उसे विषय पर बोलते हुए काफी गहराई तक जाना होगा गहराई के अपने खतरे हैं। मैं खतरों से घिरा हुआ आदमी हूँ उसके घर में स्त्रियों के ओठों के आकार के सोफे थे, स्वी की नाक की आकृति के टेबल और आंखों के आकार की तस्वीरें। वह कोट को उल्टा पहन कर और पांयचों में बर्हि डालकर दुनिया के किसी बड़े अखबार के संवाददाता को इंटरव्यू दे सकता था- यह कहकर कि चीजें जब अपने इस्तेमाल से विरोध नहीं करती तो आप उस पर निषेध लगाने वाले कौन हो सकते हैं।

डाली का जीनियस होना और विवादों में रहना

डाली जीनियस थे। और जीनियस हमेशा विवाद का आधार और विवाद का कारण भी बनता रहता है। यहाँ तक कि डाली ने जीते जी जितने विवादों को जन्म दिया मरने के बाद भी विवाद खड़ा कर गए। टाइम पत्रिका में जब मैंने पढ़ा और छपे हुए चित्र देखे तो मेरी रूचि बढ़ गई कि इन चित्रों का कोई केटलॉग हाथ लग जाए ताकि अलभ्य कृतियों को देखने का सुख हासिल हो। इस बीच एक दिन इन्दौर मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ अपूर्व पौराणिक से भेंट हुई तो बाते ही बातें में उन्होंने बताया कि दिल्ली में वर्ल्ड न्यूरोलॉजी कान्फ्रेंस में एक डच न्यूरोलॉजिस्ट ने दुनिया के महान चित्रकार विन्सेण्ट वॉनगाग के चित्रों पर बहुत ही दिलचस्प पर्चा पढ़ा और उसने पचीसों स्लाइड्स के प्रदर्शन के जरिये यह बताया कि वॉनगाग के चित्रों में बार-बार एक ही तरह के फार्मस् दोहराए जाते हैं, उनका संबंध उनकी मिर्गी की बीमारी से था। उसमें उन्हें एक दौरा पड़ता था और वे एक दिन में एक ही तरह के पचीसों चित्र बना डालते थे। मुझे यह बात लगभग चौकाने वाली लगी कि कृतियों के न्यूरो-पैथालॉजिकल या न्यूरोफिलासाफिकल संबंध भी खोजे जा सकते हैं।

डाली के चित्र और न्यूरोलॉजिकल अध्ययन

बहरहाल, यह क्यों न किया जाए कि डाली के इन विवादास्पद चित्रों को डॉ. अपूर्व पौराणिक को अध्ययन व विश्लेषण के लिये सौंपकर कुछ निष्कर्ष खोजे जाएं, जिनसे कलाकार के कार्य और व्यवहार की एक परिकल्पित व्याख्या रची जा सके। वॉनगाग के संदर्भ में अध्ययन करने के लिये तो उस डच स्नायुविज्ञानी ने वॉनगाग के खतों का सहारा लिया था और डाली ने तो बहुत ही गहरी और आत्मपरक डायरियों लिखी है। जिसमें उन्होंने अपने अनुभव संसार के नितांत अकेले क्षणों का भी विवरण विस्तार से दिया है। वे डायरियाँ अनुभव की अद्वितीयता का ऐसा लेखाजोखा देती है कि पढ़कर हम लगभग एक रहस्यलोक में पहुंच जाते हैं। जैसे डॉली को लगता है कि उसके दिमाग और आँतों के बीच अदला बदली हो गई हैं। आँतों की जगह दिमाग पहुंच गया है और दिमाग की जगह ऑत। वे एक और जगह लिखते है में इंटस्टाइनल डिलीरियम के बीच घिर गया हूँ। मेरा बायाँ हाथ खिड़की पर रह गया है और सेबफल टूटकर भेड़िए के मुंह में गिर गया है। मैं बच्चे में बदल गया हूँ और मेरे पेट में रोटी का टुकड़ा तैर रहा है। मेरे पेट में एक समुद्र है। समुद्र की नाव में घोड़े जोतकर लोग भाग रहे हैं। आसमान की ओर।

डॉ. पौराणिक का विश्लेषण

बहरहाल जब डॉ. अपूर्व पौराणिक ने डायरी को पढ़ना शुरू किया तो पाया कि उसके सफे लगभग एक केस हिस्ट्री का आभास देते हैं। और यह जानकर तो और भी विस्मय हुआ कि सल्वाडोर डाली के चित्रों में आने वाले प्रतीकों और फेटेसियों के सूत्रों के आश्चर्यजनक रूप में साम्य रखने वाले, संदर्भ मौजूद है। मसलन, पहाड़, पानी और आग को ये लगभग एक आब्लोशन की तरह लेते हैं। उनके अंदर डिसोसिएटिव रिक्शन लगभग हर जगह मिलती है। फ्लाइट आफ आडियाज तथा कॉस्मिक अनुभूतियों के साथ-साथ असुरक्षा बोध भी कूटकर भरा है, उन्हें लगता है कि वे और चित्रकार डॉली कोई और है रोज सुबह जागने पर में एक महानतम प्रसन्नता का अनुभव करता हूँ। इस प्रसन्नता पर सोचने पर मैंने पाया कि यह साल्वाडोर डाली होने की प्रसन्नता है। मैं चिंतित हूँ कि सल्वाडोर डाली आज जाने किस महान कृति की स्वना के लिये जाएंगे। डाली जाए चित्र बनाने। मैं तो गादीवा की गोद में सिर देकर सोता रहूँगा।

डॉ. पौराणिक की निष्कर्ष

कुल मिलाकर डॉ. पौराणिक ने डायरी के कुछेक ऐसे प्रसंग ढूंढकर रेखांकित कर दिये, जिनमें साल्वाडोर डॉली की वे तमाम मनः स्थितियाँ थीं, जिनमें उन्होंने अपेन कुछ चचित चित्र रचे होंगे।

डॉ. पौराणिक ने डाली की डावरी ऑव जीनियस तथा द सीक्रेट ऑब माय लाइफ का अध्ययन करके उनके प्रतिनिधि परिस्थितियों ने प्रतिनिधि व्यवहार की एक संभव रूपरेखा खींची, मसलन डॉली में, यह अ‌द्भुत द्वैत था कि वे जहाँ एक ओर नंदबुद्धि बालक सा व्यवहार करते थे तो दूसरी ओर अद्वितीय दार्शनिक का सा। उनके व्यवहार और विचारों की इन कंसिस्टेंसी ही उनक चित्रों की विस्फोटकता का आधार है। वे अपनी ही देह से अलग होकर अपने को दूसरे व्यक्ति की तरह देखते थे ये पेरोनाईड फीलिंग भी उनके चित्रों में मौजूद हैं। टाइम और स्पेस की उनकी समझ भी चौकाती हैं। लगभग स्लीप बाकर और डे-ड्रीमर के अनुभव की विचित्रताएं उनकी डायरी में ही जगह है। लोग और जगहें कभी भी फैंटेसी में बदल जाते हैं। प्रिमोनिशन ऑव सिविल बार मेटा मोफोसिस ऑफ ए नार्सिसस में विभ्रम का पुख्ता मानचित्र मिलता है।

*           *           *

<< सम्बंधित लेख >>

Skyscrapers
नींद के विकासवादी और दार्शनिक पहलू (EVOLUTIONARY AND PHILOSOPHICAL ASPECTS OF SLEEP)

नींद के Evolutionary और Philosophical पहलुओं पर चर्चा की शुरुआत में मैं श्री हरि, भगवान विष्णु को प्रणाम करता हूँ।…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
न्यूरो साइंस (Neuro science)

1. मस्तिष्क की कार्यविधि – सूक्ष्म से गूढ़ तक (The working of brain from micro to macro) 2. मस्तिष्क /…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
Meeting of National Task Force on Brain Health on 11th September 2024

Advocacy for Neurology: Local, Regional and National Advocacy is a very broad term with multiple meanings and nuances for different…

विस्तार में पढ़िए
Skyscrapers
मिर्गी और ‘हलातोल’

एक जटिल संसार में चुनौती भरी कला यात्रा हलातोल मालवी भाषा (बोली) का शब्द है। इसका अर्थ समझना तो कठिन…

विस्तार में पढ़िए


अतिथि लेखकों का स्वागत हैं Guest authors are welcome

न्यूरो ज्ञान वेबसाइट पर कलेवर की विविधता और सम्रद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अतिथि लेखकों का स्वागत हैं | कृपया इस वेबसाईट की प्रकृति और दायरे के अनुरूप अपने मौलिक एवं अप्रकाशित लेख लिख भेजिए, जो कि इन्टरनेट या अन्य स्त्रोतों से नक़ल न किये गए हो | अधिक जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करें

Subscribe
Notify of
guest
0 टिप्पणीयां
Inline Feedbacks
सभी टिप्पणियां देखें
0
आपकी टिपण्णी/विचार जानकर हमें ख़ुशी होगी, कृपया कमेंट जरुर करें !x
()
x
न्यूरो ज्ञान

क्या आप न्यूरो ज्ञान को मोबाइल एप के रूप में इंस्टाल करना चाहते है?

क्या आप न्यूरो ज्ञान को डेस्कटॉप एप्लीकेशन के रूप में इनस्टॉल करना चाहते हैं?