फोटान भी हमारे परमाणुओं से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगे होती हैं और इसमें भी हम एक रेडियोएक्टिव आइसोटोप, जिसमें से रेडिएशन निकलती है, वे इंजेक्शन द्वारा शरीर में पहुंचाते हैं और जब यह पदार्थ शरीर में पहुंचता है तो उस समय हम देखते हैं कि कितने फोटोन शरीर के अंगों से निकल रहे हैं। तो सिंगल फोटान इमिशन कम्प्युटराईज़्ड टोमोग्राफी के द्वारा भी हमें शरीर के रचनात्मक चित्र प्राप्त होते हैं।
कितना मेटाबॉलिज्म है, कितना ब्लड फ्लो है। इसका उपयोग मिर्गी के मरीजों में यह पता लगाने हेतु होता है कि दिमाग के किस भाग से मिर्गी का दौरा उठ रहा है और किस हिस्से का ऑपरेशन करना है या नहीं करना है। यह निर्णय लेने में स्पेक्ट स्कैन में से मदद मिलती है तो यह भी क्रियात्मक बिंब प्राप्त करने का एक तरीका है।
समय के साथ साथ जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास होता चला जा रहा है, चिकित्सा के क्षेत्र में नाना प्रकार की जांचों की संख्या बढ़ती ही चली जा रही है। आज से 50 साल पहले, आज से 100 साल पहले, डॉक्टर लोग बिना किसी जांच के या बहुत कम जांचों के साथ मरीज का इलाज करते थे। कई मरीज या रिश्तेदार सोचते हैं कि उस जमाने के डॉक्टर ज्यादा योग्य थे और आज के जमाने के डॉक्टर कम योग्य है। उनकी नैदानीक क्षमता कुंद हो गई है, उनका क्लीनिकल स्किल खत्म हो गया है और इसलिए वह लोग नाना प्रकार की महंगी महंगी प्रयोगशाला जांच ऊपर निर्भर होते चले जाते हैं। उनकी खुद की सोचने की और जांच करने की बुद्धि क्षमता खत्म होती जा रही है।
में ऐसा नहीं मानता। मैं मानता हूं कि हमारे पूर्वज, हमारे शिक्षक, गुरु बहुत अच्छे थे। उनका क्लीनिकल स्किल बहुत अच्छा था, वो बहुत कम जाँचें करवाते थे, लेकिन वह कम जांचे क्यों करवाते थे? क्योंकि उनके पास कम प्रकार की जांच उपलब्ध थी। यदि उनके पास ज्यादा प्रकार की जांच में उपलब्ध होती तो वह भी उन्हें करवाते। आज से 20 साल पहले या दो चार प्रकार के मोबाइल के मॉडल उपलब्ध थे, आज 200 प्रकार के उपलब्ध है। नाना प्रकार के मॉडल उपयोग में लाते हैं। जैसे जैसे टेक्नोलॉजी का विकास होता है, मनुष्य जाति उसका उपयोग करेगी उसे आप रोक नहीं सकते हैं। प्रश्न यह है कि उस टेक्नोलॉजी का उपयोग मनुश्य जाति के भले के लिए हो रहा है या नहीं? एक डॉक्टर के रूप में मेरा विश्वास है कि अधिकांश डॉक्टर नई टेक्नोलॉजी का, नाना प्रकार की जाँचों का उपयोग अपने मरीजों के भले के लिए करते हैं, सोच समझकर करते हैं, सही निर्णय लेकर करते हैं, जब जरूरी होता है तो ही करते हैं। आज के आज से पहले के डॉक्टर, क्योंकि उनके पास जांच नहीं थी, इसलिए उनके बिना ही काम चलाना उनकी मजबूरी थी। आज की पीढ़ी के लोगों के पास साधन उपलब्ध हैं और उसके बाद भी अगर वे उनको उपयोग ना करें, तो यह उनकी गलती होगी। यह उनकी कमी होगी, ना कि उनका गुण, ना कि उनका अच्छा फायदा।
मस्तिष्क, हाथ और पांव की नाडिया या नर्व्स और मांसपेशियों में विद्यमान विद्युतीय गतिविधि को पकड़ती है इलेक्ट्रिक एक्टिविटी। आपको पता होना चाहिए कि हमारा ब्रेन अरबों खरबों कोशिकाओं से मिलकर बना है और उन कोशिकाओं के ढेर सारे धागे या तंतु निकलते हैं, जिनको फाइबर्स बोलते हैं। इन तमाम कोशिकाओं में विद्युतीय गतिविधि प्रवाहमान रहती है और इन तमाम धागों में जो नर्व्स के रूप में शरीर के अन्य अंगों तक पहुंच जाती है, उनमें भी विद्युत तरंग बहती रहती है। इलेक्ट्रिक एक्टिविटी (विद्युत गतिविधि) हमारे नर्वस सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उस गतिविधि को नापना, कुछ जांचों के अंतर्गत किया जाता है। उसमें से एक जांच है ईईजी|