मालव धरती गहन गम्भीर । पग पग रोटी, डग डग नीर ।
महाकवि कालिदास, तानसेन, बैजूबावरा, भर्तहरी और भवभूति की इसी सरजमीं पर अवन्तिका के सांदीपनी आश्रम में श्री कृष्ण और सुदामा जैसे सहपाठियों ने अपनी मातृसंस्था से प्राप्त सस्कारों का आदर करने की और दोस्ती निभानें की परम्पराओं की नींव डाली थी।
एल्युमनाई अर्थात् पूर्व छात्रों द्वारा अमृतकाल में आयोजित यह अमृतमहोत्सव उसी परम्परा में एक कड़ी हैं। इन्दौर की आनबान और शान में होल्कर वंश का मुकुट देवीप्यमान है। उस मुकुट की हीरामणी रही पुण्य श्लोक मातुश्री अहिल्या बाई होल्कर।
समय ने करवट ली।
नर्मदा मैया के उत्तर में विंध्याचल पर्वत माला से सटे पठार मालवा में इंदौर एक व्यापारिक, औद्योगिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक केन्द्र के रूप में विकसित होने लगा था। वर्ष 1848 में महाराजा तुकोजीराव होल्कर ने रेसीडेंसी क्षेत्र में प्रथम चेरीटेबल हॉस्पिटल बनवाया जो बाद में किंग एडवर्ड हॉस्पिटल कहलाया।
वर्ष 1901 तक इसका विकसित स्वरुप महाराजा तुकोजीराव अस्पताल [M.T.H.] जाना जाने लगा। वर्ष 1878 में जब इन्दौर चेरीटेबल अस्पताल के साथ इन्दौर मेडिकल स्कूल का नाम जुड़ा। महराजा यशवन्तराव होल्कर ने पहल करी कि उनकी रियासत 730 बिस्तरों वाला अस्पताल बनवायेगा। अस्पताल और कॉलेज के लिये 100 एकड़ की जमीन, रेसीडेंसी क्ष्रेत्र के पास एक ऊँचे स्थान पर दान में प्राप्त हुई।
KE Medical School की गॉथिक शैली की इमारत भव्य और सुन्दर है, एक चर्च जैसी दिखती है। इसकी छते, गुम्बद और कंगूरे, फ़्रांसीसी शैली के है। इस हेरिटेज Building का सुदृढ़ीकरण और नवोन्मेषी सदुपयोग होना बाकी है। अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की शुरुआत 1948 में हुई और भवनों का निर्माण 1950 के दशक के मध्य तक पूर्ण हुआ। इनके वास्तुविद थे ऑस्ट्रोहंगेरियन मूल के कार्ल मॉल्टे वॉन हाइन्क्ष। मेडिकल कॉलेज और एम. वाय. अस्पताल की आलिशान इमारते भविष्यन्मुखी और सोन्दर्य पूर्ण थी। चिकने फर्शों पर सुन्दर रंगीन डिज़ाइने हैं।
बाद में बनने वाली इमारतें रही – मनोरमाराजे टी.बी. अस्पताल, P.S.M. ब्लाक (1954), दन्त चिकित्सा महाविद्यालय (1961), नर्सिंग महाविद्यालय (1960), केन्सर अस्पताल (1969), नया ओपीडी (1970), चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय (1985), स्कुल आफ फिजियोथेरेपि (1998)। 90 के दशक के उत्तरार्थ तक रोगी कल्याण समिति और स्वायत्तता की प्रशासनिक व्यवस्था से स्थानीय स्तर पर बड़े कार्य सम्पादित होने लगे थे।
डॉ. जे.एन. पोहवाला (Pediatrics) पदमश्री डॉ. एन. एल. बोर्डिया (चेस्ट & T.B.), डॉ. बी.बी. ओहरी (सर्जरी), डॉ. बी.एन. जंगलवाला (प्रसूति और स्त्री रोग) जैसे दिग्गज प्रोफेसर थे जो चिकित्सा सेवाओं में मानवीय मूल्यों की प्रतिमूर्ति थी। इन्दौर में चिकित्सा के पितामह पदमभूषण डॉ. संतोष कुमार मुखर्जी सेवानिवृत्ति के बाद 40 वर्ष तक मानद प्रोफेसर रहे – A tradition which needs rejuvenation मेडिकल कॉलेज के प्रथम डीन डॉ. बी.सी. (1948-1966)। ने 200 पृष्ठों में संस्था का इतिहास सहेजा और टाइप करवाया।
के.ई.एच. कम्पाउंड में अनेकों जीर्णशीर्ण इमारते, पुराने शिला लेखों के साथ अतीत की कहानी कहती रहीं। वर्ष 2003-2005 में SAGA – गाथा नामक वृहत सचित्र स्मृति कोष में विस्तार से सब सहेज कर रखा गया।
नये को स्थान देने के लिये पुराने को विदाई लेना पड़ती है। संस्था के विकास की मंथर गति का ग्राफ तेजी से ऊपर की दिशा में बढ़ा है। पिछले एक दशक में जितना निवेश हुआ है उतना पिछले पचास वर्षों में नहीं देखा गया। सूरत और सीरत बदल रहे हैं।
महाराजा यशंवतराव चिकित्सालय का कायाकल्प करते हुये उन्नयन किया गया। प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना PMSSY तथा केन्द्र सरकार की अन्य पहलों के कारण अनेक युगान्तरकरी परिवर्तन और विकास हुए है UG सीट्स 140 से बढ़कर 250 और PG सीट्स इनसे अधिक 274 हो गी है। सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल (405 बिस्तर) में 13 विभाग है, अनेक DM and MCH कोर्स शुरू हुए है– न्यूरोसर्जरी पीडियाट्रिक्स सर्जरी, कार्डियालॉजी, न्यूरोलॉजी। न्यू एकेडमिक ब्लाक में बड़े लेक्चर हाल्स, प्रयोगशालाएँ हैं। लाइब्रेरी को खूब बड़ा स्थान मिला है। लाइब्रेरी में Humanities अर्थात् मानविकी के विषयों से सम्बन्धित पुस्तकों का एक बड़ा विविध और समर्द्ध खण्ड विकसित किया जा रहा है। Boys और Girls के लिये नये होस्टल्स बने हैं। केन्द्र शासन पोषित विकास की सूची में आते है – Center of Excellence for mental health, multi-disciplinary, research unit [MDRU], Skill lab, Virology and genome senencing, Burn unit, Pediatric ICU.
नई शिक्षा नीति के तहतमातृभाषा में शिक्षा के महत्व को प्रमुखता देने की भावना के अनुरूप प्रदेश के अन्य मेडिकल कालेजों के साथ इंदौर में भी हिंदी प्रकोष्ठ मंदर कक्ष के माध्यम से पाठ्यपुस्तकों के निर्माण में योगदान किया गया। प्रधानमंत्री जी द्वारा Competitive Federation के आवाहन के अनुरूप राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा अनेकों विकाश किये गये जैसे कि एम आर टी बी चिकित्सालय एवं इंदौर चेस्ट सेंटर को चिकित्सा महाविद्यालय के अधीनस्थ किया गया। प्रदेश के शासकीय क्षेत्र में एक मात्र बोनमेरो यूनिट की स्थापना। पैरामेडिकल पाठयक्रमों हेतु अर्लाइड हेल्थ इंस्टीटयूट (MAHSI) की वर्ष 2018 में स्थापना हुई जो कि म. प्र. की प्रथम पैरामेडिकल संस्था हैं। जहां 17 पाठयक्रम संचालित हो रहे हैं। स्व. राजेन्द्र धारकर न्यू ओ पी डी भवन का निर्माण एवं संचालन। महाविद्यालय के सभागार का स्टेट आफ आर्ट का उन्नयन। ब्लड बैंक का मॉडेल ब्लड बैंक के रूप में उन्नयन एवं नवीन विभार्ग आई एच बी टी की स्थापना। अगंदान के कार्यो को बढावा देने के लिये सोटो की स्थापना की गई। 450 बिस्तरो वाला महाराजा तुकोजीराव हास्पीटल, जिसमें Milk Bank भी हैं। 60 बिस्तरो वाला आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित सेंटर आफ एक्सलेंस फार आय।
इमरजेन्सी मेडिसीन विभाग शुरू किया गया जो कि म.प्र. का प्रथम विभाग है, जिसमें 05 पी.जी. सीट आवंटीत र्हुई हैं। महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में 09 माडूलर आपरेशन थियेटर । A new block for cancer hospital with linear accelerator and brachy therapy, नवीन सीटी स्केन, एम.आर.आई. एवं डिजिटल मेमोग्राफी मशीन। कॉलेज से सम्बद्ध समस्त अस्पतालों के होस्टलस के मध्य सुगम्य आवागमन के लिये श्रेष्ठ सड़कें बन रही हैं। आई.डी.ए. द्वारा मरीजो के परीजनो हेतु धर्मशाला का निमार्ण वैसे तो सपने अनंत होते हैं लेकिन कुछ ठोस और प्राथमिक जरूरते हैं – 1500 बिस्तरों की क्षमता का एक नया अस्पताल, अति उन्नत ट्रामा सेन्टर, 500 बिस्तरों वाला केंसर अस्पताल।
यूनानी पुराण कथाओं के एक पात्र जानूस के दो चेहरे हैं। एक आगे एक पीछे। एक भूतकाल की तरफ, दूसरा भविष्य की और। दोनों का अपना महत्व हैं। इतिहास पर गर्व और उसकी सीख के माध्यम से Future के सपने और योजनाएं संजोई जाती हैं, फलीभूत होती हैं।