वाणी चिकित्सा स्वास्थ विज्ञान की एक सहायक शाखा हैं। वाणी चिकित्सा के द्वारा वैज्ञानिक रूप से तैयार किये गए अभ्यासो से वाणी चिकित्सक बोली आवाज़, एवं भाषा सम्बन्धी दिक्कतों को निदान एवं उपचार करते हैं।
वर्तमान समय में वापाघात के मरीजों की संख्या की तुलना में वाणी चिकित्सक की संख्या काफी कम हैं।
बोलने में आ रही दिक्कतें, शब्दों के उच्चारण में दिक्कत, तुतलाहट, हकलापन आदि समस्याओं को वाणी
चिकित्सकों के दवारा ठीक/कम किया जाता है।
इन सभी परेशानियों में वाणी चिकित्सक के द्वारा कोई दवाई नहीं दी जाती।
वैज्ञानिक साक्ष्य में आ रही परेशानियों को पूर्ण व गहन परिक्षण किया जाता हैं। इन परीक्षणों के आधार पर
अभ्यासों की सूचि तैयार की जाती हैं। एक ही समस्या से झुझ रहे कई व्यक्तियों में भी अभ्यास एक ही तरह के नहीं होते। प्रत्येक व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग अभ्यास हो सकते हैं।
कुछ प्रमुख बीमारियाँ जिनमें बोलने में दिक्कत आ सकती हैं और जिनमें वाणी चिकित्सक की सहायता से मदद मिल सकती हैं:-
> जन्म के समय बच्चों हुआ दिमाग का लकवा (सेरिब्रल पाल्सी)
>जन्म के दौरान या बाद में सर में लगी गंभीर चोट या संक्रमण (जैसे मेनिजाईटिस)
>आनुवंशिक बीमारियों जिनमें बुद्धि की कमी आ जाती हैं (जैसे ऑटिज्म, डाउन सिंड्रोम)
>जन्मजात कटे हुए होठ के कारण आ रही बोलने में दिक्कत।
> सुनने में आ रही दिक्कतों के कारण बोलने में कमी।
> पढ़ने में आ रही किसी प्रकार का दोष(डिस्लेक्सिया)
> विशेष भाषा सम्बन्धी दोष(स्पेसिफिक लेग्वेज इम्पेयरमेंट)
>तुतलापन एव हकलापन
>पक्षाघात के बाद आई बोलने में दिक्कत
>वस्तुओं के नाम के उच्चारण में आने वाली दिक्कत
> लिखने में आने वाली दिक्कत।
>गले में हुई गाँठ/संक्रमण के कारण की गई सर्जरी के बाद आने वाली आवाज़ सम्बन्धी परेशानियां
>प्रग्रामी न्यूरोलॉजिकल रोग जैसे अल्जाइमर, डिमेंशिया(बुद्धिक्षय मोटर न्यूरोन रोग, पार्किन्सन आदि जिसमें – आवाज में भी दिक्कतें आने लगती हैं।
> मानसिक अवसाद के कारण आने वाली बोली में दिक्कते।