जिन्दगी बिना हास्य के नीरस हैं| जहान में ऐसा कौन हैं जिसे हंसी-ठिठोली में आनंद न आता हों| हमारे यहाँ ललित कलाओं के आदि गुरु भरत मुनि ने अपनी काल जयी ग्रन्थ “नाट्य शास्त्र” में “हास्य” को नौ रसों में से एक गिना था| नवरस | जिन्हें मंच पर अभिनेता “भाव” माध्यम से सृजन करता हैं| न केवल अभिनय बल्कि साहित्य में भी ‘विनोद’, ‘परिहास’ या ‘दिल्लगी’ का विशेष स्थान हैं| न्यूरोलॉजी व हास्य से सम्बंधित अनेक पहलू, अनेक सामग्री, यहाँ सहेजे जा रहे हैं| जैसे कि चुटकुले, one Liners, कार्टून्स, मनोरंजक घटनायें, व्यंग आदि|
चुटकुले Jokes |
वन लाइनर्स One Liners |
कार्टून्स Cartoons |