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स्वयं सहायता समूह (Self Help Group)

किसी एक रोगी या मिलती -जुलती स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त कुछ व्यक्ति और उनके परिजनों तथा हितैषियों का समूह, जब एक दूसरे की तथा अपने जैसे अन्य मरीजों की बेहतरी और मदद के लिये मिलकर काम करने लगे तथा अपने अनुभवों का साझा करने लगे तो उस गतिविधि को सेल्फ हेल्प तथा सपोर्ट समूह कहा […]

सफाई के साथ स्वयं नली डालकर मूत्र निकालना (Clean Intermittent Self Catheterization)

अनेक न्यूरोलॉजिकल बीमारियों में या तो पेशाब रूक  जाता है या पूरी तरह खाली नहीं हो पाता और पेशाब की थैली में भरा रह जाता है , या लगातार टपकता ही रहता है | ऐसे मरीजों में बहुत दिनों तक केथेटर (पेशाब की नली) लगाये रखने के बजाय दिन में कई बार सफाई के साथ […]

पार्किन्सोनिज्म दैनिक जीवन में कुछ छोटी मोटी समस्याएँ व उनका निराकरण

निगलने में समस्यागले की भीतरी मांसपेशियों की गति कम पड़ने से भोजन, पानी, स्वयं की लार (थूक) आदि निगलने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है । अतिरिक्त प्रयत्न करके खाना पड़ता है । मुँह व गले में भोजन रूकने लगता है। जल्दी खाने के प्रयत्न मे ठसका लगता है , खाँसी आती है , श्वास […]

ग्रामीण क्षेत्रों में कम साधनों द्वारा गरीब मरीजों का पुनर्वास

शान्ता मेमोरियल पुनर्वास केंद्र, भुवनेश्वर, उड़ीसा की ओर से अशोक हंस की एक रिपोर्ट के अनुसार स्पाइनल इन्ज्युरी के मरीजों के पुनर्वास में संस्थागत तथा सामुदायिक, दोनों प्रकार के प्रयासों के समन्वय की जरुरत है। संस्थागत उपाय का अर्थ है, बड़ा अस्पताल, मेडिकल कालेज या सुपर स्पेश्यलिटी हास्पिटल जहाँ पूरी टीम व साधन हों। ग्रामीण […]

पक्षाघात के रोगी के सम्मुख घरेलु अवरोध

शारीरिक रूप से सीमाबद्ध पक्षाघात के रोगी के परिवार में रहते हुए सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। सुरक्षा के तौर पर बिखरी हुई कालीन या गलीचा और स्नानगृह की चटाई आदि को समेटना शामिल है। ये उन मरीजों के लिये जो कि चलने में कठिनाई महसूस करते हैं घातक सिद्ध हो सकती हैं,तब […]

पक्षाघात (stroke) के बाद दैनिक जीवन में क्या समस्याएँ आती हैं?

मैं पक्षाघात का मरीज़ रहा हूँ। ४६ वर्ष की आयु में मुझे घातक पक्षाघात हुआ था। यह लेख मेरी पत्नी और प्यारे बच्चों को समर्पित है। उन्होंने पर्याप्त देखभाल करते हुए यह जता दिया कि हम आपको प्यार करते हैं और मेरे भूल करने पर भी उन्होंने दयालुता से देखभाल की । एक सामान्य व्यक्ति […]

पुनर्वास (Rehabilitation)

पुनर्वास से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण विषय निम्नवत हैं 1. पक्षाघात (stroke) के बाद दैनिक जीवन में क्या समस्याएँ आती हैं ? एक सामान्य व्यक्ति के रूप में पक्षाघात के मरीज के रूप में जो देखभाल और उपचार हुआ उसे लिखने की प्रेरणा इस वाक्य से मिली कि “‘पूछो उनसे जो स्वयं भुक्तभोगी हों” । मैंने […]

व्यवहार चिकित्सा (ऑक्यूपेशनल थेरेपी)

विभिन्न न्यूरोलॉजिकल स्थितियों में शारीरक व मानसिक अशक्तता के कारण पुनर्वास में होने वाली परेशानियों को व्यावसायिक चिकित्सा के माध्यम से कम किया जाता है।  कम शारीरिक ताकत, असंतुलन, आत्मविश्वास की कमी आदि को पहचान कर पुनः दैनिक गतिविधियों व जीविकोपार्जन सम्बन्धी कार्य में भाग लेने में मदद मिलती हैं व पुनर्वास किया जाता हैं।  इसके आलावा सेरिब्रल पाल्सी […]

न्यूरो भौतिक उपचार (Neurophisiotherapy)

शारीरिक चिकित्सा उपचार पूरी तरह से रोगी की स्थिति और लक्षणों पर निर्भर करती हैं हासिल की जा सकने वाली भौतिक सम्भावनाओ के बारे में सुनिश्चित करे हैं।न्यूरोलॉजीकल फ़िजिओथेरपी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली स्थितियां जैसे लकवा, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में चोट, सेरिब्रल पाल्सी, चेहरे का लकवा, पार्किंसन, मस्कूलर, डिस्ट्राफी, मायोपेथी, पेरिफेरल न्युरोपेथी,  चक्कर आना, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, कमर व् गर्दन का दर्द, आदि में […]

रक्त का थक्का बनने से रोकने वाली अथवा रक्त को पतला करने वाली औषधियाँ ( Anti-Coagulant)

लकवा रोग (स्ट्रोक) के कुछ मरीजों में एन्टीकोआगुलेन्ट औषधियाँ दी जाती हैं| ये खून का थक्का (थ्रॉम्बस) बनने से रोकती हैं। आम बोलचाल की भाषा में, मरीजों को समझाने के लिए इन्हें खून पतला करने वाली दवाईयाँ भी कहते हैं। | इमरर्जेन्सी अवस्थाओं में हिपेरिन (थक्कारोधी) इंजेक्शन का उपयोग प्रभाव पाने के लिये हिपेरिन (इन्ट्रावीनस/ […]

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