
शारीरिक चिकित्सा उपचार पूरी तरह से रोगी की स्थिति और लक्षणों पर निर्भर करती हैं हासिल की जा सकने वाली भौतिक सम्भावनाओ के बारे में सुनिश्चित करे हैं।न्यूरोलॉजीकल फ़िजिओथेरपी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली स्थितियां जैसे लकवा, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में चोट, सेरिब्रल पाल्सी, चेहरे का लकवा, पार्किंसन, मस्कूलर, डिस्ट्राफी, मायोपेथी, पेरिफेरल न्युरोपेथी, चक्कर आना, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, कमर व् गर्दन का दर्द, आदि में उपयोगी होती हैं।इस पद्धति में विशेष मांसपेशियों के समूह, संयुक्त आंदोलन,संतुलन, विद्युत उत्तेजन, जीवन शैली को फिर से सक्रिय करने के विशेष अभ्यास शामिल है। कई प्रकार के व्ययाम व् अभ्यास शामिल होते है। रोग निवारण को बेहतर करने हेतु व्यायाम के साथ विभिन्न वैज्ञानिक मशीनों का भी उपयोग किया जाता हैं।