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पैसा पैसा पैसा

श्रीचंद्रजी अग्रवाल की माणकचौक में मिठाई की पुरातन दुकान थी। उनकी बड़ी साख थी। ऊंची दुकान, ऊंचा पकवान | दाम एक दम सही| माल पूरा शुद्ध । सबको मिठाई खिलाते थे / स्वयं नहीं खाते थे। नियम संयम से रहने वाले | कोई लत या एब नहीं । रोज एक घंटा तेज गति से चलने और आधा घण्टा योग | संगीत का शौक […]

अरे कोई सुनो, मै बेहोश नही हूँ !

पंद्रह दिन के अवकाश के बाद मैं वार्ड में राउण्ड लेने पहुँचा। जूनियर डॉक्टर्स (रेसीडेण्ट्स) एक के बाद मरीजों के बारे में बता रहे थे। “सर, 26 वर्षीय कपिल, मस्तिष्क ज्वर (एनसेफेलाईटिस) के कारण 40 दिन पहले भर्ती हुआ था। अभी भी होश में नहीं आया है।मैंने पूछा कि “अचेतन अवस्था की गहराई या तीव्रता नापने की ग्लास्गो […]

अंदर कोई है क्या ?

आज शीला देवी का साठवां जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा था। दस वर्ष का अनुपम अपने मॉ-पापा के साथ अमेरिका से आया था, चार साल के लम्बे अन्तराल के बाद। वह दादी को ध्यान से देख रहा था, और सोच रहा था- दादी चुप है, कुछ बोलती नहीं। हाथ पांव गर्दन हिलाती नहीं, आँखें खुली है पर किसी […]

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