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मिर्गी के दौरों के विभिन्न प्रकार


मिर्गी के दौरों के विभिन्न प्रकारों की सूचि

सर्वव्यापी अकड़न झटके या बड़ा दौरा (ग्रा.माल)

लघु दौरा (एबसान्स या पती-माल)

सरल आंशिक (प्रेरक) (फोकल। मोटर)

सरल आंशिक (संवेदी)

जटिल आंशिक

शिशुओं में झटके व तनाव

एटॉनिक (तनाव शून्यता या शिथलता) या गिर पड़ना, टपक पड़ना

मिर्गी के दौरों का अन्तराष्ट्रीय वर्गीकरण

सर्वव्यापी अकड़न झटके या बड़ा दौरा (ग्रा.माल)

यह किसी भी उम्र में हो सकता है, परन्तु बहुतायत से किशोरों व व्यस्कों को होता है। इसके लक्षण हैं अचानक चीख व बेहोशी, गिरना, यकायक धड़ाम से गिरना, चोट लग सकती है, हाथ पैरों व पूरे शरीर में अकड़न या जकड़न या तनाव, पूरा शरीर तन कर लड्ठे के समान हो सकता है, गरदन व सिर पीछे की ओर या दायें-बायें और तन सकते हैं, श्वास आरंभ में कुछ सेकण्ड्स के लिये रूकी हुई या धीमी, शरीर की रंगत स्याह नीली, मल-मूत्र छूट जाना, दाँतों का भिंचा होना, जीभ दाँतों के बीच फंस सकती है |


आँखें प्राय: खुली, पुतलियों का ऊपर या बाजू में घूम जाना । अब तक की अवधि आधा-एक मिनट से कम | इसके बाद हाथ-पैरों व पूरे शरीर में झटके । मुँह व गले की माँसपेशियों में झटके, श्वास में घरघराहट की आवाजें, गले में लार-थूक जमा होना, अब तक की अवधि दो या तीन मिनट | झटके धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। श्वास सामान्य होने लगती है। दौरा तुरंत नहीं लौटता, पाँच-दस मिनट में धीरे-धीरे चेतना आती है । बाद में १९-३० मिनट तक सुस्ती, उनिंदापन, भ्रम बना रहता हैं, और बाद में अनेक घंटों तक थकान, बदन दर्द, कमजोरी, चक्‍कर आदि महसूस होते रहते हैं ।हर मरीज को हर दौरे में सारे के सारे लक्षण मौजूद रहना जरुरी नहीं हैं ।

लघु दौरा (एबसान्स या पती-माल)

बच्चों में ५-१२ वर्ष के मध्य दिखाई देता है | खेलते-खेलते, बात करते-करते, काम करते हुए अचानक स्थिर हो जाना, मूर्ति जैसा बन जाना, आँखें खुली शून्य में ताकती हुईं, पलकें कभी झपक सकती हैं। हाथ-पाँव थोड़े शिथिल, वस्तु छूट सकती है परन्तु बच्चा खड़ा या बैठा रहता है गिरता नहीं। आस-पास की दुनिया से कट जाता है । आवाज लगाने, हिलाने- डुलाने का कोई फर्क नहीं पड़ता | कुल अवधि १० सेकेण्ड। तुरंत सामान्य हो जाता है। दिन में अनेक बार। माता-पिता या शिक्षक गलती से सोचते हैं कि बच्चा या तो लापरवाह है या कहना नहीं सुनता या दिवा स्वप्न देखने का आदि है ।


सरल आंशिक (प्रेरक) (फोकल। मोटर)

यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इसमें होश बना रहता है, बेहोशी नहीं आती | एक तरफ के हाथ या पैर की उंगलियाँ या होंठ से झटके शुरू होते हैं। यह झटके वहीं रह सकते हैं या कुछ सेकण्ड्स में फैलते जातेहैं उंगलियों से ऊपर बढ़कर पूरे हाथ या पैर को समाहित कर लेते हैं। कभी -कभी शरीर का एक सम्पूर्ण आधा भाग झटके लेता है। आँखें, चेहरा व गर्दन उसी दिशा में घूम सकते हैं जिस और से झटके आ रहे हैं। कभी कभी मरीज़ स्वयं के प्रयत्नों से इन झटको को रोक सकता हैं। यदि चहरे के एक और झटके आ रहे हो तो बोलने में दिक्कत हो सकती हैं। कुल अवधि कुछ सेकंड्स या मिनट । झटकों के रुकने के बाद कुछ मिनुट या घंटों तक उक्त हाथ या पैर में थोड़ी कमजोरी रह सकती हैं ।


सरल आंशिक (संवेदी)

किसी भी उम्र में होते हैं व सिर्फ मरीज को महसूस होते हैं सामने बैठे व्यक्ति को नजर नहीं आते | होश बना रहता है । एक तरफ के हाथ या पैर की उंगलियाँ या होंठ से झुनझुनी शुरू होती है । शरीर के आधे भाग में फैल सकती है । आँखों के आगे कुछ दिखाई पड़ता है जैसे की रोशनी, आग के गोले, धुंधलका, कोई चेहरा या दृश्य | कानों में शोर, सनसनाहट, घंटिया, संगीत, व बातचीत सुनाई पड़ती है। कोई गंध महसूस हो सकती है प्राय: बदबूदार | अन्य दुर्लभ मामलों में दूसरी संवेदनाओं में से एक जैसे- चक्कर, पेट में गैस, रोंगटे खड़े होना, पसीना आना, मन में खुशी या भय या उदासी छाना, कोई पुरानी बात याद आना। कुल अवधि कुछ सेकेण्ड्स या मिनट्स। दौरे की समाप्ति के बाद कुछ समय के लिये उक्त संवेदना से संबंधित कमी रह सकती है जैसे कि शरीर के एक भाग में सुन्नपना या दृष्टि के एक भाग में धुंधलापन आना।

जटिल आंशिक

टेम्पोरल खण्ड में उठने वाले दौरे किसी भी उम्र में आते हैं | व्यक्ति अचानक शून्य में चला जाता है। आँखें खुली टकटकी लगाकर घूरती हुईं। आस-पास की दुनिया की कोई खबर नहीं | स्‍्वचलन रोबोट की तरह स्वत: की जाने वाली बेमतलब की बेतरतीब हरकतें । होंठ या जीभ चलाना, बुदबुदाना अस्पष्ट सा कुछ कहना, इधर-उधर ताकना चल पड़ना, रोकने पर प्रतिरोध करना। कुल अवधि आधा या एक मिनट, कुछ मरीजों को पूर्वाभास | हर दौरे में एक जैसी हरकतें ।

शिशुओं में झटके व तनाव

तीनमाह से दो वर्ष के मध्य आते हैं | तेजी से बार-बार आने वाले झटके जिनमें सिर व गर्दन आगे की ओर मुड़ जाते हैं, भुजाएँ ऊपर उठती हैं, पैर व घुटना मुड़ कर पेट के पास आ जाते हैं। ऐसा लगता है शरीर दोहरा हो गया है। बैठी अवस्था में आने पर सिर आगे झुककर टकरा सकता है। इन बच्चों के मस्तिष्क में प्राय: गंभीर खराबी होती है । शारीरिक व मानसिक विकास धीमा या अवरूद्ध होता है |

एटॉनिक (तनाव शून्यता या शिथलता) या गिर पड़ना, टपक पड़ना –

प्राय: छोटे बच्चों में होता है। अचानक गिर पड़ना | सिर फूट सकता है, बेहोशी आ सकती है। कुछ सेकेण्ड्स के बाद होश आता है, पुन: खड़े होकर चलने लगना |

मिर्गी के विभिन्न प्रकार के दौरों का अन्तरराष्ट्रीय वर्गीकरण

1. आंशिक दौरे
अ. सरल आंशिक दौरे
1.मोटर (प्रेरक) हरकतों वाले
2. संवेदी (सेन्सरी) लक्षणों वाले
3. स्वसंचालित (ऑटोनामिक) लक्षणों वाले
4. मानसिक लक्षणों वाले
ब. जटिल आंशिक दौरे
1. उपरोक्त सरल आंशिक दौरों के रूप में शुरुआत, तत्पश्चात अनुपस्थितता व स्वचलन      (ऑटोमेटिज्म)
2. आरम्भ से ही अनुपस्थितता, बाद में स्वचलन

2. सर्वव्यापी दौरे
अ. अनुपस्थिता (एबसान्स)
ब. मायोक्लोनिक (मांस पेशियों, हाथ व पैरों में झटके)
स. क्लोनिक (झटके)
द. टॉनिक (अकड़न-झटके)
ई. टॉनिक-क्लोनिक (अकड़न-झटके)
फ. एटानिक (शिथिलता, तनाव शून्यता)

मिर्गी के दौरों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन
दौरे का नाम – सर्वव्यापी अकड़न झटके, (Generalized Tonic Clonic Seizures) बड़ा दौरा (Grand Mal or Major Convulsion Attack)
उम्र – किसी भी उम्र में हो सकता है। परन्तु बहुतायत से किशोरों व वयस्कों में
लक्षण – अचानक चीख व बेहोशी, यकायक धड़ाम से गिरना, चोट लग सकती है।
हाथ-पैरों व पूरे शरीर में अकड़न या जकड़न या तनाव
पूरा शरीर तन पर लड़े के समान हो सकता है।
गर्दन व सिर पीछे की ओर या दाईं-बाईं ओर तन सकते हैं।
श्वास आरम्भ में कुछ सेकण्ड्स के लिये रुकी हुंई या धीमी
शरीर की रंगत स्याह नीली
मूत्र व मल का छूट जाना
दांतों का भिचा जाना। जीभ दांतों के बीच फंस सकती है।
आंखें प्राय: खुली। पुतलियों का ऊपर या एक तरफ घूम जाना।
अब तक की अवधि आधा-एक मिनट से कम।
इसके बाद हाथ-पैरों व पूरे शरीर में झटके।
मुंह व गले की मांसपेशियों में झटके।
श्वास में घरघराहट की आवाजें। गले में लार-थूक (कफ) जमा होना।
झटके धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
श्वास सामान्य होने लगती है।
होश तुरन्त नहीं लौटता। पांच-दस मिनट में धीरे-धीरे चेतनता आती है।
बाद में 5-30 मिनट तक सुस्ती, उनींदापन, भ्रम बना रहता है और बाद में अनेक घण्टों तक थकान, बदन दर्द, कमजोरी, चक्कर आदि महसूस होती रहती है।
हर मरीज में, हर दौरे में, सारे के सारे लक्षण मौजूद रहना जरूरी नहीं हैं।

2. एब्सान्स (अनुपस्थितता) या लघु दौरा या पतीमाल
उम्र बच्चों में 5 से 2 वर्ष के मध्य।
खेलते-खेलते, बात करते करते, काम करते हुए, अचानक स्थिर हो जाना, मूर्ति जैसा बन जाना।
आंखें खुली, शून्य में ताकती हुई, पलकें कभी झपक सकती हैं।
हाथ-पांव थोड़े शिधिल। वस्तु झूट सकती है। परन्तु बच्चा खड़ा या बैठा रहता है, गिरता नहीं।
आस-पास की दुनिया से कट जाता है। आवाज लगाने, हिलाने-डुलाने का कोई फर्क नहीं पड़ता।
कुल अवधि 3 से 10 सेकण्ड
तुरन्त सामान्य हो जाता है। पुन: उसी काम में लग जाता है जो पहले कर रहा था, मानों कुछ हुआ ही नहीं ।
दिन में अनेक बार। पढ़ने-सीखने में व्यवधान पड़ सकता है। माता-पिता या शिक्षक गलती से सोचते हैं कि बच्चा या तो लापरवाह है या कहना नहीं सुनता या दिवा स्वप्न देखने का आदी है।

सरल आंशिक (प्रेरक) (सिम्पल पार्शियल मोटर) विकार स्थानी (फोकल)
उम्र – किसी भी उम्र में
लक्षण – होश बना रहता है। बेहोशी नहीं आती।
एक साईड के हाथ या पैर की उंगलियाँ या होंठ से झटके शुरू होते हैं। ये झटके वहीं रह सकते हैं या कुछ सेकण्ड्स में फैलते जाते हैं।
ऊंगलियों से ऊपर बढ़ कर पूरे हाथ या पैर को समाहित कर लेते हैं।
कभी-कभी शरीर का एक सम्पूर्ण आधा भाग झटके लेता है।
आंखें चेहरा व गर्दन उसी दिशा में घूम सकते हैं जिस ओर से झटके आ रहे हैं।
कभी-कभी मरीज स्वयं के प्रयत्नों से इन झटकों को रोक सकता है। के
यदि चेहरे के एक ओर झटके आ रहे हों तो बोलने में दिक्कत हो सकती है।
कुल अवधि कुछ सेकण्ड्स या मिनट
झटकों के रूकने के बाद कुछ मिनट्स या घण्टों तक उक्त हाथ या पैर में थोड़ी कमजोरी रह सकती है।

मुख्य नाम – सरल आंशिक : संवेदी, सिम्पल पार्शियल : सेन्सरी
उम्र – किसी भी उम्र में
लक्षण – सिर्फ मरीज को महसूस होते हैं। सामने बैठे देखने वाले को कुछ नजर नहीं आता
यदि मरीज न बताए तो सब सामान्य प्रतीत होता है। होश बना रहता है।
एक साईड के हाथ या पैर की उंगलियों या होंठ से झुनझुनी शुरू होती है। शरीर के आधे भाग में फैल सकती है।
आंखों के आगे कुछ दिखाई पड़ता है जैसे कि शोर, सनसनाहट, घंटियाँ, संगीत, बातचीत
कोई गन्ध महसूस हो सकती है। प्राय: बदबूदार।
अन्य दुर्लभ मामलों में दूसरी संवेदनाओं में से एक, जैसे – चक्कर, पेट में गैस, रोंगटे खड़े होना, पसीना आना, मन में खुशी या भय या उदासी छाना, कोई पुरानी बात याद हो आना।

कुल अवधि कुछ सेकण्ड्स या मिनट्स
दौरे की समाप्ति के बाद कुछ समय के लिये उक्त संवेदनाओं से संबंधित कमी रह सकती है जैसे कि शरीर के एक भाग में सुन्नपना या दृष्टि के एक भाग में धुंधलापन आदि।


जटिल आंशिक (काम्प्लेक्स पार्शियल)
मनोप्रेरक (साईकोमोटर) टेम्पोरल खण्ड में उठने वाले दौरे।
उम्र – किसी भी उम्र में
अचानक शून्य में खो जाना। आंखें खुली, टकटकी लगा कर घूरती हुई। आसपास की दुनिया की कोई खबर न होना। पूछने पर जवाब न देना।
स्वचलन या आटोमेटिज़्म रोबोट की तरह स्वत: की जाने वाली बेमतलब की बेतरतीब हरकतें। मरीज नहीं जानता कि क्या कर रहा है।
होंठ या जीभ चलाना। बुदबुदाना। अस्फुट सा कुछ कहना। इधर-उधर ताकना। वस्तुओं या वस्त्रों को उलटना-पलटना-उठ पड़ना। चल पड़ना। रोकने पर प्रतिरोध करना। कपड़े उतार देना। भयभीत प्रतीत होना। कुल अवधि आधा, एक मिनट।
कुछ मरीजों को पूर्वाभास (ऑरा) हो सकता है।
प्रत्येक दौरे मे लगभग एक ही प्रकार की हरकतें।
दौरे के बाद कुछ मिनटों तक भ्रम की स्थिति रहना। दौरे के समय क्या हरकत की, इसकी कोई स्मृति न रहना। जानबूझकर मजाक कर इस प्रकार के दौरे के समय अन्य लोग गलती से समझ बैठते हैं कि मरीज ने नशा किया है या पागलपन है या जानबूझ रहा है।


एटॉनिक दौरे (तनावशून्यता या शिथिलता), ड्रॉप अटैक – गिर पड़ना, टपक पड़ना।
उप्र – प्राय: छोटे बच्चों में।
अचानक गिर पड़ना | चोट लग सकती है।
सिर फूट सकता है। बेहोशी आती है। कुछ सेकण्ड्स के बाद होश आता है। पुन: उठ खड़ा होता है व चलने लगता है। कई बार सोचा जाता है कि बच्चे तो गिरते ही रहते हैं। बड़े लोगों में सन्दर्भ में नशे की अवस्था का शक होता है।


मायोक्‍लोनिक दौरे
उम्र – प्राय: किशोरावस्था में
लक्षण – हाथ, पैर या शरीर की मांसपेशियों में अचानक जोर से क्षणिक झटके आते हैं।
एक अकेला झटका, या एक के बाद एक अनेक झटके। हाथों से वस्तु छूट सकती है, दूर फिंका जाती है।
पूरे शरीर में झटका आने से जमीन पर गिर सकते हैं। व्यक्ति सामान्य से अधिक तीव्रता से चौंक पड़ता है या चमक उठता है। अवधि एक या दो सेकण्ड। प्राय: होश बना रहता है। दौरे या झटके के तुरन्त बाद व्यक्ति सामान्य रहता है।

शिशुओं में झटके व तनाव (इन्फेंटाईल स्पाज़्म)
3 माह से दो वर्ष के मध्य
तेजी से बार-बार आने वाले झटके जिनमें सिर व गर्दन आगे की ओर मुड़ जाते हैं भुजाएँ ऊपर उठती हैं, पैर व घुटना मुड़ कर पेट के पास आजाते हैं ।
ऐसा लगता है मानों पूरा शरीर दोहरा (डबल) हो गया हो।
यदि झटका बैठी हुई अवस्था में आये तो सिर आगे झुककर टकरा सकता है।
इन बच्चो के मस्तिष्क में प्राय: गम्भीर खराबी होती है। शारीरिक व मानसिक विकास धीमा या अवरूद्ध होता है।

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