हेडएक, सिरदर्द, जहा में ऐसा कोई कौन है जिसने कभी सिर का दर्द भोगा नहीं? हर इंसान को जीवन में कभी ना कभी सिरदर्द होता है। कुछ लोगों में ज्यादा होता है। कुछ लोगों में बार-बार होता है।
कुछ लोगों में लंबे समय तक, अनेक सप्ताहों तक, अनेक महीनों तक बना होता है। अधिकांश लोगों में ये सिरियस नहीं होता। ठीक हो जाता है। कुछ लोगों में ये गंभीर बीमारी होती है। सिरियस होती है। स्वास्थ्य को खतरा होता है। जान को खतरा होता है। सिरदर्द के बार में इन्हीं विषयों पर हम चर्चा करेंगे। ये विषय बड़ा महत्वपूर्ण है। न केवल इसलिये कि ये बहुतायत से होता है, बहुत लोगों को होता है। बल्कि इसलिये भी कि इसको लेकर कुछ प्रातियां व्याप्त है। इसको लेकर यदि सही ज्ञान का प्रसार हो लोग इसका सही तरीके से निदान करें, सही तरह से इलाज करें तो उनका जीवन बेहतर होगा। वो पहचाने की सिरदर्द को कब सिरियसली लेना है और कब नहीं लेना है। कब दिखाना है और कब नहीं दिखाना है। इन बातों की भी चर्चा हम करेंगे।
सिरदर्द के कारणों की चर्चा, उसका वर्गीकरण, उसका प्रकार, उसका निदान, उसका उपचार, इनत माम बातों की चर्चा करेंगे। एक मोटे अनुमान के अनुसार लगभग १५ से २० प्रतिशत महिलाओं में लम्बे समय तक, अनेक वर्षों तक सिरदर्द रहता है। पुरुषों में प्रतिशत थोड़ा कम है। लगभग १० प्रतिशत के आसपास। जिसको हम बोलते हैं दीर्घअवधि का सिरदर्द। क्रोनिक हेडएक, १० प्रतिशत पुरुषों में, २० प्रतिशत महिलाओं में खास तौर से उन वर्षों में जब कि वो युवा होते हैं, या अधेड़ अवस्था में होते हैं। युवावस्था के पहले जो बाल्यपन होता है उसमें भी हेडएक होता है पर कम। अधेड़ अवस्था के बाद जो वृद्धावस्था आती है उसमें भी हेडएक होता है पर थोड़ा कम तो जो बीच के वर्ष हैं युवावस्था से लेकर प्रोढ़ावस्था तक के उस अवधि में सिरदर्द ज्यादा होता है। सिरदर्द के बार में जब हम चर्चा करते हैं तो मन में एक सवाल उठता है कि सिर में और सिर के आसपास ऐसा क्या है जो दुखता है। इसको लेकर अनेक मुहावरें चलते हैं। लोग कहते हैं कि फलां व्यक्ति तो हमारे लिये हेडएक बन गया है। या फलों समस्या हमारे लिये हेडएक हो गई है। या उन्होंने इतना बोर भाषण दिया कि मेरा सिर दुखने लग गया। तो मुहावरों के अंदर भी हेडएक या सिरदर्द हमारे उसमें आ चुका है। तो सवाल उठता है कि क्या रचनाएँ हैं, एनॉटामी के अंतर्गत जिनसे कि सिर दुखता होता होगा। हमारा खोपड़ी, खोपड़ी की हड्डी, उसके बाहर की चमड़ी, उसके बाहर का टिश्यू, हमारे सिर और गर्दन (हेड और नेक) के तमाम स्ट्रक्चर जिसमें गर्दन की रीढ की हड्डी, बाहर की मांसपेशियाँ, हमारे जबड़े, हमारी हड्डिया, आँखें, आँखों के आसपास की रचनाए, हमारा कान, कान का भीतरी हिस्सा, (मध्य कर्ण) हमारा नाक, नाक से जुड़े हुए सायनस जो हवा से भरे हुए स्थान होते हैं।
सब सिरदर्द का कारण बन सकते हैं। हमारे दांत, मसूड़े गला, तो हेड एंड नेक, गर्दन और सिर की जितनी भी रचनाएं है उनमें से किसी-किसी में अगर कोई रोग हो, कोई पैथालॉजी हो तो वो सिरदर्द का कारण बन सकती है।
इसके बाद कुछ और रचनाएं आती है खोपड़ी के अंदर। खोपड़ी के अंदर क्या है ब्रेन, मस्तिष्क। यदि मस्तिष्क में बीमारी हो तो हेडएक हो सकता है। हाँ ये बात तो सही है लेकिन जहाँ तक मस्तिष्क की खुद की रचना का सवाल है अगर आप एक, सवा किलो के ब्रेन को बाहर निकालें तो वो जो मेन गुदा है, यो जो गुदा है वो खुद पेनलेस है। अगर उसमें खराबी आ जाये तो हेडएक नहीं होता। यदि ब्रेन को काटो, उसको दबाओ, उसको जला दो। उसको कुचल दो कोई दर्द नहीं होगा। ब्रेन खुद संवेदनाओं को, दर्द की संवेदनाओं को ग्रहण करता है लेकिन अगर उसमें कोई रोग हो तो डायरेक्टली सीचे-सीधे हेडएक नहीं होता। लेकिन ब्रेन के बाहर चारों तरफ झिल्लियों की एक परत होती है जो सबसे बाहरी परत है जाड़ी वाली, मोटी वाली ड्यूरामेटर उसमें अगर सूजन हो, तनाव हो. इन्फेक्शन हो तो दर्द होता है। और फिर हमारे ब्रेन से छोटी-छोटी बारीक-बारीक क्रेनियल निकलती है, नाड़ियां निकलती है जो खोपड़ी में से बाहर आती है। उन नाड़ियों में भी अगर खिंचवा या तनाव हो तो भी हेडएक होता है। तो अंदर की रचनाओं में। मुख्य ब्रेन तो दर्द का कारण नहीं होता। लेकिन ब्रेन के बाहर जो झिल्ली है उसमें प्रेशर हो तनाव हो, ब्रेन से निकलने वाली नाड़िया हैं, नर्स हैं उनमें भी दर्द हो सकता है। और ब्रेन को सप्लाय करने वाली जो खुन की नलिया है अगर उनमें सूजन हो या वो फूलने लग जायें तो भी दर्द हो सकता है। तो अब हमने ये जाना कि जब सिरदर्द पैदा होता है। उसके पीछे अनेक रचनाएं हमारे हेड एंड नेक में से सिर और गर्दन में दर्द का कारण बन सकती है। जो बाहर से चालू होती है और अंदर तक जाती है लेकिन ब्रेन तक जाकर रुक जाती है, ब्रेन की बाहर की झिल्ली, ब्रेन के बाहर की नाड़ियां, और ब्रेन के बाहर की खून की नलियां, आर्टरीस् या धमनियां ये सब दर्द का कारण बनती है।
जब हम सिरदर्द के कारण का वर्गीकरण करते हैं तो डॉक्टर लोग उसको कई तरह से देखते हैं। एक तरीका होता है देखने का कि वो एक्युट है या क्रोनिक। एक्युट मतलब अतिपाती, कुछ समय, या लघु अवधि का अचानक होने वाला। क्रोनिक मतलब दीर्घकालिक, लंबी अवधि का, पुराना। और जो पुराना होता है उसको भी हम दो भागों में बाँटते हैं। पुराना वो जो लगातार, प्रतिदिन, कंटीन्यूअस, एवरी-डे हो रहा है। और दूसरा वो जो क्रोनिक है, पुराना तो हैलेकिन प्रतिदिन नहीं होता है। अलग-अलग अंतराल पर होता है। कभी हफ्ते में एक बार, कभी महीने में एक बार, कभी तीन महीने में एक बार।
अलग-अलग अवधि पर होता है, कुछ घंटे रहता है, निकल जाता है। ये भी क्रोनिक है। तो दीर्घ अवधि का हेडएक दो तरह का हो गया। लगातार होने वाला और रुक-रुक के होने वाला। और जो एक्युट है अचानक होने वाला है, वो तो कम अवधि का होता है।
एक दूसरा तरीका सिरदर्द को वर्गीकृत करने का या समझने का हम डॉक्टर लोग आपस में काम में लाते हैं वो ये कि ये जो हेडएक है ये सीरियस है, डेंजरस है, खतरनाक है, मेलिग्नेंट है या बिनाइन है, माइल्ड है, हल्का है, खतरनाक नहीं है, ठीक हो जाने वाला है, क्योरेबल है। इस तरह से भी हम सिरदर्द के विभिन्न कारणों को वर्गीकृत करते हैं।
कुछ हेडएक ऐसे होते हैं सिरदर्द जो अचानक आते हैं, बहुत तेजी से आते हैं और बहुत खतरनाक होते हैं।
सौभाग्य से उनकी संख्या कम होती है। उसमें से एक, दो का नाम में यहाँ बताना चाहूँगा। कल्पना कीजिये कोई व्यक्ति अच्छा भला था, उसे पुराना कोई सिरदर्द की बीमारी नहीं थी और वो कहता है कि अचानक उसका सिर फटने लगा।
बहुत तेजी से फटने लगा। पूरा सिर जोर से दुखने लगा। और असहनीय दर्द होने लगा। और अचानक शुरु हुआ,अपने आप शुरु हुआ, बिना किसी कारण के शुरु हुआ और कम ही नहीं हो रहा है। अनेक मिनिटों तक, अनेक घंटो तक बना हुआ है। इस तरह का सिरदर्द जिसके बारे में मरीज बोलता कहे कि जीवन में ये पहली बार हुआ, उसने पहले कभी ऐसा दर्द भीगा नहीं। इसे हम डॉक्टर लोग सीरियसली लेते हैं। और मरीजों को आम जनता को भी सीरियसली लेना चाहिये। यदि जीवन में वैसा असहनीय दर्द पहले कभी नहीं हुआ तो। और उसमें दो, तीन प्रमुख कारण है। एक होता है ब्रेन हेम्ब्रेज और खास तौर पर हैम्ब्रेज का वो प्रकार जिसको सब-ऐरेक्नॉइड बोलते हैं। दिमाग में खून की नली का फटना, अंदर खून का निकलना, और खास तौर से उस खून का निकलना झिल्लियों की दो परतों के बीच में जहाँ पानी भरा होता है उस पानी में उस नली का फटना सब-ऐरेक्नॉइड हेम्ब्रेज इस तरह से अचानक तीव्र, फटने वाले दर्द के रूप में पहली बार आता है, बिना किसी कारण के। और ये व्यक्ति तुरंत अस्पताल पहुंचना चाहिये, उसके जीवन को खतरा है, उसके स्वास्थ्य को खतरा है।
एक और कारण होता है जिसमें किसी व्यक्ति को पहली बार तीखा दर्द होता है और उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिये। यह दर्द प्रायः बुखार के साथ होता है। अब ये अलग बात है कि जब भी हमें बुखार होता है तो कई बार हेडएक होता है। क्योंकि बुखार में हमारी खून की नलियां तेजी से सिकुड़ती है और फैलती है। और किसी को टायफाइड है, किसी को मलेरिया है, सब को हेडएक होता है। लेकिन कुछ हेडएक ऐसे होते हैं जो दिमागी बुखार के कारण होते हैं। सिरदर्द मैनिन्जाटिस की वजह से, एनसैफेलाइटिस की वजह से। मस्तिष्क ज्वर की वजह से, ब्रेन फीवर की वजह से। मस्तिष्क ज्वर, दिमागी बुखार, ब्रेन फीवर, मैनिन्जाइटिस, एनसेफेलाइटिस इन तमाम अवस्थाओं में मस्तिष्क के चारों तरफ जो पानी भरा है और जो झिल्लिया है और अंदर का जो गुदा है उसमें इंफैक्शन है, इसमें इनफ्लेमेशन है, प्रदाह है, सूजन है, और इन लोगों को प्रायः सिरदर्द के साथ-साथ बुखार रहता है, उल्टीयां होने लगती है, चक्कर एक्युट आने लगते हैं, बेहोशी आ सकती है, झटके आ सकते हैं। तो अगर इस तरह की परिस्थिति में किसी व्यक्ति को हेडएक हुआ है, पहली बार हेडएक हुआ है, बुखार के साथ हुआ है, जो अनेक घंटो तफ बना हुआ है, जा नहीं रहा है, ब्रेन फीवर का शक करना चाहिये। और इन मरीजों को भी जितनी जल्दी हो सके किसी योग्य अस्पताल में, योग्य डॉक्टर के पास उपचार के लिये जाना चाहिये।
तो हम चर्चा कर रहे थे हेडएक का वो प्रकार जो एक्युट है, अचानक होता है, तीव्र गति से होता है और गंभीर हो सकता है। इसके अलावा और भी कुछ हेडएक होते हैं जो एक्युट होते हैं, अचानक होते हैं। लेकिन तुलनात्मक रुप से उनकी तीव्रता कम होती है। और वो प्रायः आसानी से ठीक हो जाते हैं। इस तरह के सिरदर्द में जैसे कि मैंने थोड़ी देर पहले हिंट दी थी। कोई भी बुखार, किसी भी आम बुखार में चाहे वो वायरस का इंपैक्शन हो, चाहे सर्दी जुकाम हो, चाहे इंफ्लुएंजा हो, मलेरिया, टॉयफाइड, इस तरह के इंपैक्शन में सिरदर्द किसी को भी हो सकता है। इसके अलावा यदि हमारे शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाये, हम भूखे हों तो सिरदर्द हो सकता है, यदि हम पहाड़ पर जाएं और वहां ऑक्सीजन की कमी हो, या अस्थमा के कारण ऑक्सीजन की कमी हो या खून की कमी हो एनीमिया के कारण किसी व्यक्ति के रक्त में जितनी ऑक्सीजन घुलना चाहिये नहीं मिल रही हो। इन लोगों को भी हेडएक हो सकता है। लेकिन ये सब डेंजरस नहीं होते, खतरनाक नहीं होते। इन मरीजों का आसानी से उपचार हो सकता है। और इसमें प्रमुख कारण है- अपर रेस्पीरेटरी इंपैक्शन, सदी जुकाम जिसमें कि नाक और फेरिंग्स और गला और सायनस ये इन्पैक्शन हो जाते हैं, इस तरह के हेडएक सेल्फ लिमिटिंग होती है, एक्युट होते हैं, अचानक आते हैं, कम अवधि के होते हैं कुछ दिन में ठीक हो जाते हैं। सर्दी जुकाम वाला हेडएका ये भी एक्युट होता है लेकिन ये सीरियस नहीं होता।
और फिर इसके बाद हम आते हैं क्रोनिक हेडएक पर तो क्रोनिक हेडएक जो होते हैं वो लंबी अवधि के होते हैं। और जैसा कि मैंने कि कुछ मिनिट पहले बोला वो या तो लगातार किस्म के हो सकते हैं डेली, प्रतिदिन, दिन-रात, चौबीस घंटे, एक जैसे, थोड़े बहुत कम ज्यादा, बने रहने वाले या यो यदाकदा आ सकते हैं। मरीज बिल्कुल अच्छा रहेगा कुछ दिनों तक एक सप्ताह, दो सप्ताह, तीन सप्ताह और फिर जोर का सिरदर्द आयेगा जो कुछ घंटे, एक दिन, दो दिन रहेगा, निकल जायेगा, इस तरह के हेडएक को हम एपिसोडिक हेडएक बोलते हैं। ये दोनों प्रकार के क्रोनिक हेडएक दीर्घ अवधि के होते हैं। लंबी अवधि के होते हैं। और उनके कारणों की भी हम चर्चा करेंगे। ये क्रोनिक अवधि के हेडएक हैं इनके लिये प्रायः किसी डॉक्टर को न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाना पड़ता है। जबकि जो एक्युट वाले हेडएक थे, जो माइल्ड थे, सर्दी जुकाम में हो रहे थे, बुखार में हो रहे थे, उनके लिये न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ती हैं। लंबी अवधि के हेडएक्स को हम अनेक कारणों के द्वारा वर्गीकृत कर सकते हैं। एक तो हुआ स्थानीय कारण। स्थानीय कारणों में मैं बोलूंगा हेड एंड नेक, गर्दन और सिर के जो स्थानीय अंग है उनकी जो बीमारियां है उसमें हेडएक हो सकता है। सभी लोग जानते हैं, और सभी लोग कहते भी हैं, और सलाह भी देते हैं, अच्छा! सिर दुख रहा है? अरे आँख की जाँच कराई की नहीं, चश्मा तो नहीं लगेगा? ये बात सही है। यदि आँखों की कमजारीहै, यदि चश्मा लगने वाला है, आपको पास का या दूर की नजर की कमजोरी है, जब आप काम करते हैं पास का या दूर का तो आपको आँखों पर जोद देना पड़ता है, इन लोगों को प्रायः सिरदर्द होता है, और ये वाला सिरदर्द आँख के ऊपर भी होता है, और आँख से फैलकर पीछ पूरे सिर पर भी चला जाता है, आँखें दुखती है, आँखें भारी हो जाती है। और खासतौर से जब लंबी अवधि तक कोई पढ़ने का काम करना पड़ता है, लंबी अवधि तक टी.वी. देखते हैं या ड्राइव करते हैं या कम्प्यूटर पर काम करते हैं, आँखों पर लोड पड़ता है ऐसी स्थिति में वो सिरदर्द दिनभर का काम करने के दौरान धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है। इन लोगों को जरुर किसी नेत्र विशेषज्ञ के पास जाकर आँखों की रोशनी की जाँच कराना चाहिये। कोई नम्बर तो नहीं लगने वाला है, मोतियाबिंद तो नहीं है, काँचबिंद तो नहीं है। अंदर की आँखों का प्रेशर तो नहीं बढ़ गया है। तो आँखों की जांच कराते हैं सिरदर्द के प्रत्येक मरीज में। फिर हम कभी-कभी ई.एन. टी. की जांच कराते हैं। ईयर, नोज, घोट। कान, नाक, गला विशेषज्ञ के पास भेजते है कि नाक में कोई इंपैक्शन तो नहीं है, सायनस में कोई इंपैक्शन तो नहीं है, अंबरूनी कान के अंदर तो कोई इंफैक्शन तो नहीं है उनसे भी हेडएक होता है। लेकिन ये जो आम तौर पर ये जो ई एन टी. वाली बीमारियां हैं ये केवल एफ्युट हेडएक करती हैं। कम अवधि का अचानक होने वाला हेडएक करती है। जो दीर्घअवधि का लंबी अवधि का क्रोनिक हेडएक होता है वह वह ई.एन.टी. वाले कारणों से नहीं होता। कुछ लोग सोचते हैं कि सायनोसाईटिस भी लंबे समय तक चल सकती है और क्रोनिक हेडएक का, दीर्धअवधिक का कारण बन सकती है। लेकिन ऐसा सोच गलत है। क्रोनिक सायनोसाईटिस हेडएक का कारण नाहीं होती। क्रोनिक सायनासाईटिस नहीं होता। सायनोसाईटिस जो भी होता है एक्युट होता है, लघु अवधि का होता है, कुछ समय का हेडएक कर सकता है, सर्दी जुकाम के साथ। नाक बंद हो गई उसके साथ। लेकिन लंबी अवधि के जो हेडएक होते है, अनेक महीनों, अनेक वर्षों तक चलने वाले वो सायनोसाईटिस के कारण, जमी हुई सर्दी के कारण नहीं होते।
और भी हम हेड एंड नेक की रचनाओं की चर्चा करेंगे जो गर्दन और सिर में होती है और हेडएक का कारण बनती है उसमें दाँत की बीमारियां आती है, मसूड़ों की बीमारियां आती है, जबड़ों की बीमारियां आती है। और इन सबसे भी लोकल दर्द भी होता है और फैलकर वो सिरदर्द के रूप में भी आ सकता है। कुछ लोगों में पीछ गर्दन की रीढ़ की हड्डी की बीमारी होती है जिसको आम लोग शायद जानते हों। स्पांडिलोसिस या स्पांडिलाईटिस। गर्दन की रीढ़ की हड्डी छोटी-छोटी हड्डियों से मिल कर बनी होती है। एक के ऊपर एक वो हहियां रखी रहती हैं। और उन तमाम हड्डियों के बीच के बीच के जो ज्वाइंट है वहां पर गेप कम हो जाता है, इंफैक्शन आ जाता है, डिस्क खिसक जाती है। उससे लोगों को पीछ गर्दन में दर्द होता है। और यदि वो ऊपर की गर्दन के हिस्से में हो तो वो दर्द सिर के पिछले हिस्से तक फैल सकता है, इसको हम लोग सर्वायकोजेनिक हेडएक बोलते हैं। और ये भी कोई बहुत ज्यादा कॉमन नहीं है। लेकिन कुछ लोगों में हो सकता है जिनको सर्वायकलस्पांडिलोसिस हो, खास तौर से ऊपर के सर्वायकल वर्टीब्रा सी २, सी ३, सी ४ (दूसरे, तीसरे, चौथे) नम्बर के जो वर्टीबा हैं गर्दन में अगर उनके बीच में खराबी हो तो उसका हेडएक पीछे के हिस्से में आ सकता है सिर के अंदर तो ये हम स्थानीय कारणों की चर्चा कर रहे हैं। स्थानीय कारणों में इसके अलावा हमारी खोपड़ी की हड्डी है और खोपड़ी के बाहर की चमड़ी है और टिश्यू है इनमें भी अगर किसी प्रकार की चोट हो या इंपैक्शन हो जिसको हम स्कल की इंपैक्शन या ऑस्टीयोमायलाईटिस बोलते हैं। या लोकल ट्रामा या चोट है उसके कारण भी स्थानीय वजहों से लोगों को सिरदर्द या हेडएक हो सकता है। और फिर हम आते हैं अंदर के कारणों के तरफ। खोपड़ी के अंदर या ब्रेन के भीतर जैसा कि कुछ मिनिट पहले मैंने बोला खोपड़ी के अंदर हमारा ब्रेन है। ब्रेन के चारों तरफ झिल्लियों की तीन परत है उन परतों के बीच में पानी भरा है और ब्रेन से निकलने वाली और जुड़ने वाली बहुत सारी खून की नलियां हैं और ब्रेन से निकलने वाली और जुड़ने वाली बहुत सारी क्रेनियल नर्स या नाड़ियां हैं।
इन तमाम की वजह से हेडएक हो सकता है। और जो प्रमुख कारण है ब्रेन की भीतर की बीमारियों में उनमें से दो का उदाहरण तो मैंने पहले ही दे दिया था। ब्रेन में हेम्ब्रेज होना, नली का फटना जो एक्युट हेडएक का कारण बनता है। और ब्रेन में इंपैक्शन आना, मस्तिष्क ज्वर आना जो कि एक्युट हेडएक का एक और कारण बनता है। इसके अलावा लंबी अवधि के हेडएक ब्रेन की भीतर की बीमारी की वजह से अगर हो रहे हैं। उसके भी कुछ कारण होते हैं। और उसमें एक प्रमुख होता है जिसके बारे में प्रायः डरते हैं। कोई भी मरीज जब थोड़ी लंबी अवधि का हो जाता है तो हमारे पास डरा-डरा, सहमा-सहमा सा आता है। डॉक्टर साहब कहीं मेरे को ट्यूमर तो नहीं है। दिमाग में गाँठ तो नहीं है। सौभाग्य से ब्रेन ट्यूमर बहुत कम पाई जाने वाली बीमारी है। हेडएक के हजारों मरीज हम प्रतिवर्ष देखते हैं। उसमे से कोई दो, चार, दस में ब्रेन ट्यूमर निकलता होगा बाकि में कोई ब्रेन ट्यूमर नहीं निकलता है लेकिन डर तो रहता है लोगों के मन में। हेडएक अरे कहीं कोई ब्रेन ट्यूमर तो नहीं है। आज कल तो सी.टी. स्केन और एम.आर.आई हो गए हैं उनसे मालूम पड़ जाता हैं लेकिन उसके पहले हम डॉक्टर लोग मरीज से चर्चा करके उसकी हिस्ट्री पूछकर उसकी न्यूरोलॉजिकल जाँच करके भी अनुमान लगा सकते हैं कि किस मरीज में अंदर का हेडएक किसी गंभीर ट्यूमर या स्थान घेरने वाली जगह के बीमारी के कारण हो रहा है। किस मरीज में सी.टी. स्केन और एम.आर.आई. की जरुरत है। किसमें नहीं है, ये निर्णय हमारा प्रायः सही होता है कभी-कभी गलत होता है, लेकिन आम तौर पर हम जज कर लेते हैं कि हेडएक किस वजह से हो रहा है। अंदरुनी कोई गंभी बीमारी तो नहीं है। इसके अलावा एक और मिथ्याचारणा लोगों के मन में व्याप्त है हेडएक को लेकर और दो है बी.पी. (ब्लड प्रेशर) हाई बी.पी.। साहब मेरे को बहुत बी पी. बढ़ गया है। कैसे मालूम पड़ा? वो मेरे को हेडएक हो रहा था।
आपने अपना व्डलप्रेशर नपवाया क्या पट्टा बांधकर? नहीं वो तो नहीं नपवाया वो तो मैं समझ जाता हूँ जब-जब मेरे को हेडएक होता है मैं समझ जाता हूँ मेरा बी.पी. बढ़ गया होगा। अगर हाथ में पट्टा बांच कर नापोगे मालूम पडेगा नहीं बी.पी. तो कोई खास ज्यादा नहीं था। लोगों पारणा बना ली कि हेडएक हो रहा है मतलब बी.पी. बढ़ गया होगा। ये जरूरी नहीं है।
दरअसल में देखा जाये तो हाई बी.पी. हेडएक का प्रमुख कारण नहीं है। गीण कारण हो सकता है, अनामन कारण हो सकता है। कभी-कभार इक्का-दुक्का और वो भी अपवाद स्वरुपा कैसा अपवाद? जय बी.पी. अचानक तेजी से बहुत बढ़ जाये। बहुत हाई लेवल पर चला जाये। २००, २२० ऊपर वाला नीचे वाला १२०, १४० अगर इतना ज्यादा रक्तचाप किसी मरीज का और वो भी अचानक आ रहा है, तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा नहीं कि पुराना था। जिन लोगों को पुराना कई बरसों का रक्तचाप रहता है, उच्च रक्तचाप उन लोगों को तो आदत हो जाती है हाई बी.पी. सहन करने की उनको हेडएक नहीं होता। लेकिन कोई यंग व्यक्ति है और उसको किसी बीमारी अचानक तेजी से ब्लड प्रेशर बढ़ने लगा कुछ ही दिनों के अंदर और बहुत ज्यादा ऊंचाई तक पहुंच गया उसका रक्तचापा हो, उन लोगों में हेडएक ब्लडप्रेशर की वजह से हो सकता है अन्यथा अधिकांश मरीजों में ब्लड प्रेशर कितनी कॉमन बीमारी है हजारों लोगों को होता है। हेडएक कितनी कॉमन बीमारी है हजारों लोगों को होती है। तो बायचांस हो सकता है कि आपको हेडएक भी है और आपको बी.पी. भी है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आपका हेडएक बी.पी. की वजह से है। हेडएक के दूसरे कारण है। बी.पी. हो सकता है आपको हो। तो ब्लडप्रेशर को हेडएक का महत्वपूर्ण कारण हम नहीं मानते। केवल कुछ अपवाद को छोड़कर। जबकि यो तुलनात्मक रूप से युया लोगों में हो रहा हो, यो ब्लडप्रेशर नया-नया विकसित हो रहा हो, और बहुत तेजी से बढ़ रहा हो, और बहुत ज्यादा ऊंचाईयों तक चला गया हो उन स्थितियों में मान सकते हैं कि किसी व्यक्ति का हेडएक शायद हाई बी.पी. की वजह से हो अन्यथा हेडएक का होना और सिरदर्द का होना और हाई ब्लड प्रेशर का होना दोनों बड़ी कॉमन चीजें है और दोनों बापचास किसी एक इंसान में हो सकती है। और उनका आपसी संबंध नहीं बनता है। तो ये कुछ चर्चाएं हुई सिरदर्द के विभिन्न कारणों की जिसमें कि हमने सिरदर्द के कारणों को एक्युट और क्रोनिक में बांटा कि अचानक होने वाले कारण और दीर्घ अवधि तक होने वाले हेडएक और फिर हमने ये बताया कि ये हेडऐक बाकि शरीर की अवस्थाओं के कारण हो सकते हैं बुखार वगैरह के कारण, हिमोग्लोबिन कम होने से, ऑक्सीजन कम होने से। और हमने ये बताया कि सिरदर्द गर्दन और सिर की लोकल अंग जितने भी हैं आँख, कान, नाक, दाँत, डाढ़, इनकी बीमारियों से हो सकते हैं। और फिर हमने जाना कि ये हेडएक खोपड़ी के भीतर की रचनाओं की खराबी की वजह से हो सकते हैं। और हमने यह भी जाना कि इनमें से कुछ सिरदर्द की बीमारियां गंभीर होती है। और कुछ कम गंभीर होती हैं। इसके अगले अंक में हम क्रोनिक हेडएक की चर्चा करेंगे, लम्बे सिरदर्द की चर्चा करेंगे। जो कि या तो लगातार किस्म के प्रतिदिन वाले हो सकते हैं, या रुक-रुक कर कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर होने वाले हो सकते हैं।
और जिनमें कोई कारण नहीं होता, कोई बीमारी न तो ब्रेन के बाहर न बाकि अंगों में, न हेड एंड नेक पर, न खोपड़ी के भीतर कोई रोग नहीं होता बस एक ही बीमारी होती है, हेडएक और उसको प्राथमिक हेडएक बोलते हैं। प्रायमरी हेडएक बोलते हैं। प्रायमरी हेडएक तीन, चार प्रकार के होते हैं उनकी चर्चा हम अगले अंक में करेंगे। धन्यवाद!