आज कोई भी परिवार सिरदर्द के नाम से अपरिचित नहीं है। शायद ही कोई परिवार ऐसा बचा हो जिसके किसी भी सदस्य को कभी भी सिरदर्द न हुआ हो। भारत में ही नहीं वरन विश्व में भी प्रत्येक व्यक्ति सिरदर्द से परिचित है। सिरदर्द का रोग नया नहीं है, अपितु आदिकाल से चला आ रहा है। कहते हैं शायद यह उतना ही पुराना है जितनी मानव सभ्यता।
प्राचीनकालीन इस चित्र में सिरदर्द का उल्लेख मिलता है जो बताता है कि चिकित्सक एक मिट्टी के मगरमच्छ को, जिसकी फैंन्स की आँख और मुँह में घास-फूस होती थी, लेता था और एक पतली पट्टी की मदद से रोगी के सिर पर बांध देता था, पट्टी पर ईश्वर का नाम लिखा होता था…और चिकित्सक प्रार्थना करता होगा |
विषय सूचि
सिरदर्द के निदान में हिस्ट्री (इतिवृत्त) का महत्व
माइग्रेन दर्द को कम कैसे किया जाए
विशेष परिस्थितियों में सिरदर्द
सिरदर्द के निदान में हिस्ट्री (इतिवृत्त) का महत्व
सिरदर्द का निदान इस बात पर निर्भर करता है कि सिरदर्द का पैटर्न क्या है जो कि उसका इतिहास जानकार ज्ञात हो जाता है|
सिरदर्द इतिहास की अवधि, सिरदर्द की अवधि व आवृत्ति सिरदर्द का स्थान व फैलाव
सिरदर्द का प्रकार – जैसे स्पंदन या धड़कन, दबाव
प्रारंभ – दिन का समय पूर्वाभास
संबंधित लक्षण – जैसे जी मचलना
उत्पन्न होने वाले कारक
समाप्त करने वाले कारक
सिरदर्द के निदान में हिस्ट्री (इतिवृत्त) का महत्व
माईग्रेन व अन्य सिरदर्द के मरीज जब डाक्टर के पास जायें तो उन्हें अपनी तकलीफ का सही-सही विस्तृत वर्णन करते आना चाहिये। यह कला सब लोगों में एक जैसी नहीं होती | नमस्कार, दुआ- सलाम के बाद डाक्टर पूछता है – क्या तकलीफ है आपको?
माईग्रेन व अन्य सिरदर्द के मरीज जब डाक्टर के पास जायें तो उन्हें अपनी तकलीफ का सही-सही विस्तृत वर्णन करते आना चाहिये | यह कला सब लोगों में एक जैसी नहीं होती | नमस्कार, दुआ-सलाम के बाद डाक्टर पूछता है – क्या तकलीफ है आपको ?
मरीज – सिरदर्द है | बहुत परेशान हूँ, ढेर सारा इलाज लिया, लाभ न हुआ।
डाक्टर – अपने सिरदर्द के बारे में विस्तार से बताईये |
मरीज – बहुत जोर से दुखता है। पहले डॉ. शर्मा को दिखाया था। फायदा न हुआ फिर होम्योपेथी इलाज में रिएक्शन हो गई। बाद में डॉक्टर सिंह ने सी.टी. स्कैन करवाया। कोई खराबी न आई। फिर से मामाजी ने सलाह दी कि शायद शीत रोग हैं, आयुर्वेद में कराते हैं…..
डाक्टर – ठहरिये मुझे इस बात में अधिक रूचि नहीं कि आपने क्या इलाज करवाया। मैं आपके सिरदर्द के स्वरूप के बारे में और अधिक जानना चाहता हूँ ।
मरीज – कहा तो सही बहुत ज्यादा दर्द होता है । मैं परेशान हूँ । एम.आर.आई. करवा लें क्या ? दस साल पहले मेरा सिर दरवाजे से टकराया था शायद तब से कुछ खून अन्दर जमा रह गया था, मेरे ससुरजी के भाई को एम.आर.आई. में….
डाक्टर – कृपया रुकिये | यह सब नहीं चाहिये | यदि आप खुद होकर नहीं बता सकते तो मैं पूछता हूँ सिरदर्द कहाँ होता है, सिर पर किस जगह एक तरफ, आगे, पीछे, पूरा, चारों ओर गर्दन तक आँखों तक ?
मरीज – पूरा सिर दुखता है।
डाक्टर – कितना जोर से दुखता है ?
मरीज – कितना जोर से, इसका क्या मतलब ? बहुत ज्यादा दुखता है ।
डाक्टर – क्या असहनीय ?
मरीज – हाँ, शायद … का… ।
डाक्टर- क्या काम छोड़ना पड़ता है?
मरीज – काम तो जैसे तैसे करना पड़ता है।
डाक्टर – क्या काम-काज से छुट्टी लेना पड़ती है ? क्या नींद में खलल पड़ता है?
मरीज – नहीं।
डाक्टर – तब मैं कहूँगा कि आपके दर्द की तीव्रता मनद या मध्यम है । अब यह बताऐं कि दर्द कितनी देर होता है ?
मरीज – बहुत देर होता है।
डाक्टर – नहीं सोच कर बताऐं कि लगभग कितनी देर रहता है ?
मरीज़ – …….हूँ…….
डाक्टर – कुछ मिनिट ? कुछ घंटे ? आधा दिन ? पूरा दिन ? एक से अधिक दिन ?
मरीज – अनेक घंटे | गोली न खाओ तो शायद पूरा दिन |
डाक्टर – दर्द कितनी बार उठता है ?
मरीज – बहुत बार | अनगिनत बार |
डाक्टर -ठीक से याद करके बताऐं कि दर्द कितने दिनों में कितनी बार उठता है ?
मरीज – हाँ, शायद हफ्ते में एक बार, नहीं कभी-कभी दो बार |
मरीज _ अब यूँ देखो तो कमी 20 से 30दिन भी निकल सकते हैं | उसका क्या भरोसा ?
डाक्टर – सिरदर्द कौन से प्रकार का होता है ?
मरीज – दर्द बहुत तेज होता है ।
डाक्टर – दर्द की तेजी नहीं उसका प्रकार या टाईप बताईये ?
मरीज – दर्द तो दर्द है, उसका भला क्या टाईप ?
डाक्टर – दर्द के अनेक प्रकार होते हैं। मैं कुछ उदाहरण बताता हूँ। फटता हुआ, चुभता हुआ, गड़ता हुआ, झपकता हुआ, भारीपन या दबाव जैसा ।
मरीज – हाँ भारीपन या दबाव जैसा ।
डाक्टर – ऐसा मानो कि सिर पर भारी वजन रखा हो ?
मरीज – हाँ ठीक ऐसा ही |
डाक्टर – सिरदर्द कब होता है ?
मरीज – कब का क्या मतलब ?
डाक्टर – दिन में, रात में, सुबह, शाम ?
मरीज – वैसे तो कभी भी हो सकता है परन्तु प्राय: शाम को अधिक होता है ।
डाक्टर – सिरदर्द किस से होता है ? क्यों कर होता है ?
मरीज – क्यों होता है यही तो आपको जानना है | मैं क्या बताऊं ?
डाक्टर – फिर भी कुछ याद करो किन परिस्थितियों में, किन कारणों से होता है ?
मरीज – भूखेरहने से, उपवास रखने से, जागरण करने से, यात्रा से |
डाक्टर – और कुछ ? टेंशन से ?
मरीज – टेंशन तो सबको होता है । आपको नहीं है क्या ?
डाक्टर – हाँ है तों, अच्छा बताईये कि बिना कारण के भी होता है क्या ?
मरीज – मरीज कभी भी हो जाता है।
डाक्टर – सिरदर्द के समय, उसके साथ-साथ और क्या लक्षण होते हैं,
मरीज – और कुछ नहीं, बस सिरदर्द ।
डाक्टर – याद करिये , उल्टी होती है ?
मरीज – उल्टी होती तो नहीं, पर कभी-कभी तेज दर्द में जी मिचलता है ।
डाक्टर – ऐसी इच्छा होती है क्या कि कमरे में अंधेरा कर दें, प्रकाश न आने दें, शोर गुल बंद कर दें, रेडियो टीवी न चलाऐं |
मरीज – उजाले अंधेरा का तो नहीं पर, हाँ शान््त वातावरण जरूर चाहिये |
डाक्टर – यह रोग कितने समय से है ? कितने महीने-कितने वर्ष या कब हुआ था ?
मरीज- लगभग दो साल से।
डाक्टर – क्या बीच में कुछ महीनों या सालों के लिये बन्द हुआ था या कम हुआ था ?
मरीज – हाँ, मेरा मोनू जब पेट में था तब एक साल बहुत अच्छा निकला था । उसका दूध छूटा फिर बढ़ गया ।
डाक्टर – माहवारी से कोई सम्बन्ध ?
मरीज – कभी-कभी मामूली बढ़ोतरी हो जाती है |
डाक्टर – दर्द क्या करने से कम होता है ?
मरीज – (फलां-फलां) गोली खाने से | कभी-कभी इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। या फिर आराम करने से | और नींद निकालने से बहुत से मौकों पर कोई असर नहीं होता | पूरे दो तीन दिन बिगड़ जाते हैं।
उपरोक्त साक्षात्कार पर टिप्पणी
कुछ बुद्धिमान, सजग, अनुभवी मरीज अपने सिरदर्द का सारा वर्णन स्वयं बिना पूछे इतने अच्छे से बताते हैं कि डाक्टर व मरीज दोनों का समय बचता है, तथा बात सटीक व सलीकेदार रहती है । उनका साक्षात्कार कुछ ऐसा होता है।
डाक्टर – अपंने सिरदर्द के मे में बताईये ?
मरीज – डाक्टर साहब, मैं दो साल से परेशान हूँ, बीच में गर्भावस्था के समय एक साल ठीक रही थी वरना सप्ताह में दो बार हो जाता है । बिना कारण उठता है या फिर उपवास, जागरण, यात्रा आदि की थकान से उठता है। कभी भी उठता-है पर को अधिक | पूरा सिर दुखता है – चारों ओर। बहुत तेज तो नहीं, सहन करती हूँ जैसे तैसे काम धकाना पड़ता हैं।
ऐसा लगता है मानों सिर पर वजन धरा हो या दबाव पड़ रहा है । तेज दर्द में कभी जी मिचलाता है और मन करता है कि शोरगुल नहीं हो । पूरा दिन दर्द रहता है। इस गोली से प्राय: कम हो जाता है, परन्तु हमेशा नहीं ।
डाक्टर – बहुत खूब। आपने मेरा काम आसान कर दिया । क्या आप डॉ. शर्मा, डॉ.सिंह, आपके मामाजी, काका ससुर, व आयुर्वेद इलाज के बारे में नहीं बताऐंगी ?
मरीज – क्या आप सच में जानना चाहते हैं ?
डाक्टर – नहीं मैं तो मजाक में पूछ रहा था ।
माइग्रेन की संक्षिप्त जानकारी
माइग्रेन सिरदर्द क्या है ?
माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है जो कि अलग-अलग समय अंतराल से दौरे के रूप में अनेक बार उत्पन्न होता है।माईग्रेन किसे होता है?
सर्वाधिक माईग्रेन 25 से 34 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियों में देखने को मिलता है। कुछ लोगों में यह 64 वर्ष की आयु के पश्चात दिखाई देता है। पुरूषों की तुलना में माइग्रेन महिलाओं में अधिक होता है।
क्या माईग्रेन संक्रामक है?
माइग्रेन संक्रामक रोग नहीं है । यह किसी व्यक्ति के सम्पर्क में आने, छूने या स्पर्श आदि से नहीं फैलता ।
माईग्रेन की अवधि – माईग्रेन की अवधि कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक हो सकती है। इसकी अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि उसके लिये क्या उपचार लिया जा रहा है तथा माइग्रेन की तीव्रता कितनी अधिक है।
माईग्रेन के साथ जुड़े अन्य लक्षण – माईग्रेन के साथ निम्नलिखित अन्य
लक्षण जुड़े हुए रहते हैं । कम भूख लगना, उग्र या पनीली आँखें, ,
दस्त, बंद नाक, बहती, नाक,दृष्टि व्यवधान, संवाद समस्या, मूत्र
त्याग की आवृत्ति में वृद्धि, चक्कर आना, नींद की समस्या, ठंडे हाथ एवं तालू, बेचैनी या अविराम कार्य पसीना, गर्दन दर्द, जम्हाई, रक्तचाप में अस्थाई उन्नति |
माईग्रेन के प्रकार – माईग्रेन मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं। ऑरा (पूर्वाभास) सहित माईग्रेन (क्लासिक माईग्रेन) और बिना ऑरा के माईग्रेन (सामान्य माईग्रेन) |
ऑरा (पूर्वाभास) क्या है ? –
ऑरा एक प्रकार के चेतावनी चिन्ह हैं, जो कि माईग्रेन सिरदर्द, प्रारंभ होने के समय सामने आता है | प्रमुख ऑरा में रोगी की आँखों के आगे कई छोटे, रंगीन धब्बे, चमकदार प्रकाश या विभिन्न रंगी आड़ी-तिरछी रेखाऐं दिखाई देती हैं । ऑरा के लक्षण 20 से 30 मिनट के होते हैं, जिसके बाद सिरदर्द होता है।
तनाव एवं सिरदर्द – तनाव में एवं तनावपूर्ण अवधि के पश्चात् रोगियों ने सिरदर्द का अनुभव किया है |कई लोगों में इसके पश्चात् तनाव प्रकार के सिरदर्द या माइग्रेन आघात को देखा गया है।
दर्द निवारक औषधि – प्राय: यह प्रश्न हर रोगी के मन में आता है कि कौन सी दर्द निवारक औषधि सिरदर्द के लिये लेना चाहियेऔर कितनी अवधि तक | प्रत्येक व्यक्ति का सिरदर्द परिस्थिति के अनुसार भिन्न होता है,अत: सिरदर्द के प्रकार और दर्द की तीव्रता के अनुसार ही उस प्रकार की औषधि लेना चाहिये। यह हिदायत हमेशा दी जाती है कि कोई भी औषधि लेने के पूर्व चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिये। सिरदर्द के लिये आवश्यकता से अधिक औषधियाँ लेना भी हानिकारक होता है। औषधि के अधिक प्रयोग से पीड़ा हारी प्रतिक्रिया (एनलजेसिक रिबाऊंड) सिरदर्द हो सकता है।
यह सिरदर्द धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और इसे नियंत्रित करने के लिये और अधिक बढ़ी हुई मात्रा में दर्द निवारक लेना पड़ते हैं। अत: हमेशा जैसा निर्देशित किया जाये उसी के अनुसार औषधि लेना चाहिये |
माईग्रेन आघात के दौरान दर्द को कैसे कम किया जाए?
ऐसे कई उपाय हैं जिनके द्वारा दर्द को कम किया जा सकता हैं – सिर के जिस हिस्से में सर्वाधिक दर्द है वहाँ गर्माहट या उस भाग को उष्मा देने से कुछ लोगों को आराम मिलता है। यह गर्माहट गर्म पैड या सूखे तौलिये के द्वारा दी जा सकती है। तोलियो में बर्फ के टुकड़ों को रखकर ठण्डी सिकाई करने पर भी कई लोगों को आराम मिलता है। आघात का पूर्वाभास होने पर अंधेरे और शांत कमरे में लेटने से दर्द को कम किया जा सकता है | कई लोग लेटने के बाद तनावरहित और आरामदायक तकनीकों का प्रयोग करने पर लाभ प्राप्त करते हैं, इसमें ध्यान को किसी शांत विचार या बिम्ब पर केंद्रित कर लेते हैं और धीरे-धीरे इसका विस्तार करते हैं । चिकित्सक की सलाह अनुसार औषधि लेना और उसके निर्देशों का पालन करना। माइग्रेन दौरे का रिकार्ड दिनांक व इसके प्रारंभ और अंत को समय सहित रखना चाहिये और इस रिकार्ड के बारे में चिकित्सक को सूचित करना चाहिये ताकि उपचार में सहायता मिल सके ।
कुछ ध्यान रखने योग्य बातें
अपने आहार पर विशेष ध्यान रखना | यदि कोई तनाव या चिंता है तो उससे बचना चाहिये और उसे कम करने की कोशिश करना चाहिये । नियमित व्यायाम करना चाहिये और तनाव रहित व आराम प्रदायक तकनीकों जैसे योगा, ध्यान आदि को करना चाहिये | नींद का समय पर्याप्त एवं नियमित होना चाहिये | जिन महिलाओं को माईग्रेन सिरदर्द की शिकायत रही है और वे गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन कर रही हैं तो उन्हें अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिये ।
चिकित्सक की सलाह नियमित रूप से लेते रहना चाहिये | चिकित्सक को सूचित करना चाहिये यदि सिरदर्द दो दिन से अधिक अवधि का हो गया हो, एक माह में माइग्रेन के 3 से अधिक दौरे आए हों, जब सिरदर्द प्रारंभ होता है तब सिरदर्द के चेतावनी के लक्षण समाप्त नहीं होते हैं |
विशेष परिस्थितियों में सिरदर्द
बच्चों में सिरदर्द – 7 वर्ष की आयु के लगभग 1/3 और 14 वर्ष के लगभग 2/3 बच्चे सिरदर्द का अनुभव कर लेते हैं | बड़ों की तुलना में बच्चों में माईग्रेन अलग होता है। इसकी अवधि बच्चों से कम होती है (1 से 48 घंटे) और प्राय: यह दोतरफा होता है। मुख्य रूप से ललाट पर होता है | यदि सिरदर्द हाल ही में प्रारंभ हुआ है तो अन्य शारीरिक रोग, साइनसाइटिस या मस्तिष्क के भीतर प्रदाह/सूजन (इंट्राक्रेनियल इंफ्लेमेशन) अथवा भावनात्मक तनाव के रूप में समझा जाता है। यदि सिरदर्द कुछ पुराना (1-3 माह) और बढ़ने वाला है या पानी अधिक इकट्ठा होने की आशंका की जाती है। यदि
सिरदर्द पुराना या चिरकालिक है परंतु बढ़नेवाला (प्रोग्रेसिव) नहीं है, तो माइग्रेन का प्राथमिक सिरदर्द और तनाव प्रकार सिरदर्द के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक कारकों जैसे अवसाद, स्कूल से बचाना आदि हो सकता है |
वृद्धावस्था में सिरदर्द
– हालांकि प्राथमिक सिरदर्द जीवन की मध्यावस्था या अधिक आयु में प्रारंभ होता है, परंतु 50 वर्ष से अधिक आयु के पश्चात शुरू होने पर प्रथमत: कायिक (शरीर के अंगों से सम्बन्धित) रोग के रूप में ही जाना जाता है | वे रोग जो प्राय: सिरदर्द का कारण होते हैं, सबड्यूरल हिमेटोमा (ट्रोमा के इतिहास केबिना उत्पन्न हो सकता है) टॉक्सिन (जैसे कार्बन मोनोऑक्साईड) और जाईंट सेल आर्टेरिटीस |
महिलाओं में सिरदर्द
मासिक धर्म – साठ प्रतिशत महिलाओं ने अनुभव किया कि मासिक धर्म के साथ माइग्रेन में वृद्धि हो जाती है, ।4% महिलाओं ने अनुभव किया है कि माईग्रेन केवल मासिक धर्म से ही सम्बद्ध है। मासिक धर्म के दौरान ट्रिप्टान औषधि से माईग्रेन में अच्छा सुधार देखने को मिलता है परंतु यदि दौरों की आवृत्ति अधिक है तो मासिक धर्म के कुछ दिन पूर्व और दौरान बचावकारी उपचार का कोर्स उपयोगी होता है। उपचार की श्रेणी में नॉन स्टेराइल एंटी इंफ्लेमेटरी एजेन्ट्स, अर्गोटामाईन या ट्रिप्टान, नामक औषधियाँ और हार्मोन तत्व शामिल हैं |
गर्भनिरोधक गोलियाँ- माईग्रेन पीड़ित महिलाओं को जब ये हार्मोंन दिए जाते हैं तो प्रायः सिरदर्द के स्वरूप व तीव्रता में प्रभाव नहीं पड़ता। लगभग 30% महिलाओं में उनका सिरदर्द बढ़ जाता है । मात्रा में कमी, हार्मोन परिवर्तित करने या औषधि अनियमित करना उपयोगी रहता है। माइग्रेन रोगियों में कुछ में गर्भ निरोधक गोलियाँ माइग्रेन के कोर्स को बढ़ावा देती हैं ।
गर्भावस्था
65% से 75% महिलाओं में गर्भावस्था के बाद के महीनों के दौरान माइग्रेन या तो घटा हुआ या समाप्त देखा गया । माईग्रेन के दौरों के समय ट्रिप्टन और अन्य अनेक औषधियाँ देना मना है पेरासिटेमाल या कोडीन लेने की सलाह दी जाती है। यदि माईग्रेन का दौरा और आवृत्ति अधिक है तो प्रोप्रेनोलोल और या एमिट्रिप्टीलीन बचाव/रोकथाम हेतु उपयोग की जा सकती है। गर्भावस्था के दौरान सिरदर्द के अन्य दुर्लभ परन्तु गम्भीर कारण हैं। इक्लेम्प्सिया, पक्षाघात, सबएरेक्नाईड हेमरेज, स्यूडोट्यूमर सेरेब्री, पीट्यूटरी हेमरेज इंफार्क्ट या कोरियोकार्सिनोमा से मेटास्टेसिस |
रजोनिवृत्ति – हार्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा प्राय: माइग्रेन कोर्स को परिवर्तित नहीं करती है। परंतु कुछ महिलाओं में हार्मोन प्रतिस्थापना चिकित्सा के कारण माइग्रेन में वृद्धि होती है। इन रोगियों में प्रबंधन क्रमानुसार इस प्रकार किया जाता है । ओस्ट्रोजन की मात्रा में कमी, ओस्ट्रोजन के प्रकार में परिवर्तन जैसे (प्राकृतिक से सिंथेटिक), बाधित से निरंतरता तक व्यवस्था में परिवर्तन, खाने (ओरल) से आन्त्रंतर (पेरेन्टरल) औषधि में परिवर्तन, एन्ट्रोजन को लेना आदि।
माईग्रेन प्रेरक या कारक
माइग्रेन रोगी के लिये यह महत्वपूर्ण होता है कि वे प्रेरक और कारक ज्ञात हों जो माइग्रेन को बढ़ाने में सहायक भूमिका अदा करते हैं । उनकी पहचान होने से माइग्रेन के उपचार में मदद मिलती है । इन कारकों को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है –
भोजन कारक – भोजन कारक में कई ऐसे तत्व हैं जो हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग में आते हैं। ये निम्नलिखित हैं -चॉकलेट, खट्टेफल, टमाटर, संरक्षित मांस दूध (डेयरी) उत्पाद अलकोहल, कॉफी, काष्ट फल (नट्स) परिरक्षित /फ्लेवर बढ़ाने वाले/ मोनोसोडियम ग्लूटामेट नामक, नारियल और नारियल तेल (धूपताम्रता लोषन सहित) , बादाम तेल, एस्परटेम (कृत्रिम शक्कर) मोनो सोडियम ग्लूटामेट (अजीनो मोटो) की प्रतिकूल प्रतिक्रिया एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) एक न्यूरोटॉक्सिन है, जो कि मस्तिष्क को यह सोचने के लिये उत्प्रेरित कर देता है कि भोजन का जो स्वाद है वह उससे कही बेहतर है | इसका उपयोग चाईनीए भोजन में बहुतायत से होता है | इसे फ्लेवर बढ़ाने वाला या फ्लेवर एन्हान्सर कहते हैं। कई व्यक्तियों में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) विभिन्न प्रकार की प्रतिकूल प्रतिक्रिया उत्पन्न करने वाले पदार्थ के रूप में जाना जाता है । ये प्रतिक्रियाएं हालांकि असमान प्रतीत होती हैं, परंतु कुछ न्यूरोलॉजिकल औषधियों के साइड इफेक्ट्स से पाई जाने वाली प्रतिक्रियाओं से अधिक भिन्न नहीं होती हैं। हम यह नहीं जानते हैं कि क्यों कुछ लोग इन प्रतिक्रियाओं का अनुभव करते हैं और अन्य नहीं करते । यह भी ज्ञात नहीं है कि प्रतिक्रियाओं के मूल में मुख्य कारण क्या एमएसजी है या फिर एमएसजी के अन्तर्वेशन द्वारा ही स्थिति बिगड़ती है । हम केवल इतना जानते हैं कि एमएसजी के अन्तर्वेशन द्वारा कभी-कभी प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं तीव्र होती हैं | निर्मित सोडियम ग्लूटामेट अपने सभी रूपों में (हाइड्रोलाइज्ड प्रोटीन, सोडियम केसिनेट, ऑरोलाइज्ड खमीर आदि मय सोडियम ग्लूटॉमेट निर्माण के जब उपचार निर्माण के समय प्रोटिन एन्जाइम या अन्य क्रियाशील एजेन्ट को प्रोटीन के साथ क्रिया करने का अवसर मिलता है) एमएसजी, संवेदनशील व्यक्तियों के समान प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं ला सकता है |
एमएसजी किस प्रकार सिरदर्द का कारण हो सकता है ?
भोजन और पेय के अवयव लेबल पर मोनोसोडियम ग्लूटामेट को देखना ही पर्याप्त नहीं है। अवयव लेबल के कई नामों में एमएसजी छुपा रहता है। अपने आहार से सफलतापूर्वक इसे पहचानना माइग्रेन एवं क्रोनिक सिरदर्द वाले रोगियों के लिये मुश्किल कार्य है। यह भी निर्धारित करना उतना ही कठिन है कि एमएसजी ही उनका मुख्यकारक है|
भारतीय परिप्रेक्ष्य में सिरदर्द
अलग-अलग देशों में वहां की परिस्थिति एवं वातावरण के अनुसार सिरदर्द के कारण और , स्वरूप भिन्न-भिन्न हो सकते हैं | अन्य देशों में किये गये अध्ययनों की तुलना में हमारे यहाँ ऑरा सहित माइग्रेन स्थितिजन्य माइग्रेन और औषधि जन्य सिरदर्द वाले रोगियों का अनुपात कम है |
हमारे यहाँ के रोगियों में माइग्रेन के कारकों का विश्लेषण किया गया । गर्म आर्द्र मौसम, शोरगुल, रात का जागरण और विभिन्न धार्मिक समुदायों में उपवास की आदत भी महत्वपूर्ण कारक है। सिरदर्द के उपचार में आने वाले बाधक एवं बाधाएं भी क्षेत्रवार पृथक-पृथक होती हैं। भारत विभिन्नताओं वाला देश है, जहाँ 10 विभिन्न धर्म, 25 विभिन्न भाषाएं हैं, और इसके साथ इससे भी अधिक मिथक और धारणाऐं हैं, जिसके परिणामत: देश के विभिन्न हिस्सों में सिरदर्द के प्रकारों में भी विभिन्नता है | नियंत्रण के बाहर कारकों की उपलब्धता, अकुशल चिकित्सक, रोगी अनुपात, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का निम्न स्तर (भारतीय जनसंख्या का 80%) और उपचार के कई विकल्पों की उपलब्धता आदि कई ऐसे कारण हैं । स्नातक स्तर पाठ्यक्रम में केंद्रित शिक्षण कि अनुपस्थिति, चिकित्सकों का असावधानीपूर्ण व्यवहार, जो कि सिरदर्द से विपत्ति, सिरदर्द से आर्थिक बोझ और सिरदर्द से कार्मिक अयोग्यता को समझने में असमर्थ रहते हैं, सभी निदान में देरी करते हैं | दर्दनिवारक बहुत सस्ते एवं आसानी से उपलब्ध हैं, चिकित्सक प्रतिक्रिया सिरदर्द को मान्य नहीं करते हैं | वित्तीय प्रतिबंध भी बाधक बनते हैं।
दुर्भाग्यवश सिरदर्द भी एक विपत्ति के रूप में देखा जाता है। माइग्रेन की जटिल समस्या के साथ जबकि जीन्स और भौगोलिक वातावरण और अर्थव्यवस्था आदि सभी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, हमें अपनी आवश्यकताओं और समस्याओं के अनुसार अनुकूल प्रबंध करना होगा। हम अभी ट्रिप्टान युग से दूर हैं परंतु हमें यह भी नहीं भूलना चाहिये कि एस्प्रिन और अर्गटामाइन अभी भी माइग्रेन हेतु प्रयोग में आ रही हैं।