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आप लिखें, खुदा बांचे

मैं अनपढ़ तो न था, काला अक्षर भैंस बराबर मालवा केसरी के प्रधान सम्पादक नृपेन्द्र कोहली गजब के पढ़ाकू हैं। उनकी लाइब्रेरी में हिन्दी, पंजाबी और अंग्रेजी की लगभग 10000 किताबें हैं। दसियों अखबार और पत्रिकाएँ रोज पढ़ते हैं । सम्पादकीय व अन्य लेख लिखते हैं। पांच पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। पढ़ने की गति इतनी तेज कि […]

प्रति सेकण्ड दस बार – कम्पन

देवादित्य सक्सेना (69 वर्ष) को आज भी याद है, हाथों के कम्पन पर उनका ध्यान पहली बार हा गया कि | शायद दस वर्ष की उम्र रही होगी जब वह बड़े भैया और उनके दोस्तों के साथ टाकीज में डरावनी फिल्‍म ‘बीस साल बाद’ देख रहे थे। अनेक दृश्यों के समय वह जोर से कांपा और बहुत देर तक कांपता […]

चाबी भरा खिलौना

चटखारे / (स्वचलन /ऑटोमेटिज्म) छुट्टी के दिन माँ के बनाए पकौड़ों की खुशबू से घर महक उठा था। सब छक कर खा रहे थे। अँगुलियाँ चाट रहे थे। विनय माँ का खास लाड़ला था। सातवी की परीक्षा में कक्षा में प्रथम आया था। स्कूल की कबड्डी टीम का कप्तान था। सप्ताह के शेष दिनों में […]

स्वयं सहायता समूह (Self Help Group)

किसी एक रोगी या मिलती -जुलती स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त कुछ व्यक्ति और उनके परिजनों तथा हितैषियों का समूह, जब एक दूसरे की तथा अपने जैसे अन्य मरीजों की बेहतरी और मदद के लिये मिलकर काम करने लगे तथा अपने अनुभवों का साझा करने लगे तो उस गतिविधि को सेल्फ हेल्प तथा सपोर्ट समूह कहा […]

सफाई के साथ स्वयं नली डालकर मूत्र निकालना (Clean Intermittent Self Catheterization)

अनेक न्यूरोलॉजिकल बीमारियों में या तो पेशाब रूक  जाता है या पूरी तरह खाली नहीं हो पाता और पेशाब की थैली में भरा रह जाता है , या लगातार टपकता ही रहता है | ऐसे मरीजों में बहुत दिनों तक केथेटर (पेशाब की नली) लगाये रखने के बजाय दिन में कई बार सफाई के साथ […]

पार्किन्सोनिज्म दैनिक जीवन में कुछ छोटी मोटी समस्याएँ व उनका निराकरण

निगलने में समस्यागले की भीतरी मांसपेशियों की गति कम पड़ने से भोजन, पानी, स्वयं की लार (थूक) आदि निगलने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है । अतिरिक्त प्रयत्न करके खाना पड़ता है । मुँह व गले में भोजन रूकने लगता है। जल्दी खाने के प्रयत्न मे ठसका लगता है , खाँसी आती है , श्वास […]

ग्रामीण क्षेत्रों में कम साधनों द्वारा गरीब मरीजों का पुनर्वास

शान्ता मेमोरियल पुनर्वास केंद्र, भुवनेश्वर, उड़ीसा की ओर से अशोक हंस की एक रिपोर्ट के अनुसार स्पाइनल इन्ज्युरी के मरीजों के पुनर्वास में संस्थागत तथा सामुदायिक, दोनों प्रकार के प्रयासों के समन्वय की जरुरत है। संस्थागत उपाय का अर्थ है, बड़ा अस्पताल, मेडिकल कालेज या सुपर स्पेश्यलिटी हास्पिटल जहाँ पूरी टीम व साधन हों। ग्रामीण […]

पक्षाघात के रोगी के सम्मुख घरेलु अवरोध

शारीरिक रूप से सीमाबद्ध पक्षाघात के रोगी के परिवार में रहते हुए सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। सुरक्षा के तौर पर बिखरी हुई कालीन या गलीचा और स्नानगृह की चटाई आदि को समेटना शामिल है। ये उन मरीजों के लिये जो कि चलने में कठिनाई महसूस करते हैं घातक सिद्ध हो सकती हैं,तब […]

पक्षाघात (stroke) के बाद दैनिक जीवन में क्या समस्याएँ आती हैं?

मैं पक्षाघात का मरीज़ रहा हूँ। ४६ वर्ष की आयु में मुझे घातक पक्षाघात हुआ था। यह लेख मेरी पत्नी और प्यारे बच्चों को समर्पित है। उन्होंने पर्याप्त देखभाल करते हुए यह जता दिया कि हम आपको प्यार करते हैं और मेरे भूल करने पर भी उन्होंने दयालुता से देखभाल की । एक सामान्य व्यक्ति […]

पुनर्वास (Rehabilitation)

पुनर्वास से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण विषय निम्नवत हैं 1. पक्षाघात (stroke) के बाद दैनिक जीवन में क्या समस्याएँ आती हैं ? एक सामान्य व्यक्ति के रूप में पक्षाघात के मरीज के रूप में जो देखभाल और उपचार हुआ उसे लिखने की प्रेरणा इस वाक्य से मिली कि “‘पूछो उनसे जो स्वयं भुक्तभोगी हों” । मैंने […]

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